फिल्म इंडस्ट्री कैसे पैसा कमाती है ,और सिनेमा कैसे पैसा कमाते हैं?

सिनेमा तो हम सभी देखते हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि यह मूवीस पैसा कैसे कमाती है? . मूवीस तो थिएटर में दिखाई जाती है ना तो उससे मूवीस के प्रड्यूसर को कैसे प्रॉफिट मिलता है? या फिर क्या मूवीस सिर्फ टिकट सेलिंग से ही पैसा कमाती है? आज के इस में हम आपको इन्हीं सबके बारे में बताने जा रहे हैं कि इंडिया में जो फिल्म इंडस्ट्री है उसका बिजनेस मॉडल क्या है?

फिल्म इंडस्ट्री की कमाई से पहले हम लोग यह समझते हैं कि एक मूवी को बनने में कितने तरह के खर्चों लगते हैं?

इसको चार पार्ट में डिवाइड किया गया है, मतलब कि जब एक मूवी बनती है तो वह इन चार स्टेज से होकर गुजरती है।

1. Development

2. Pre- Production

3. Production

4. Post- Production

1. Development

डेवलपमेंट स्टेज में आता है स्क्रिप्ट राइटिंग जो कि एक मूवी बनाने का सबसे स्टार्टिंग पॉइंट होता है। मतलब की मूवी का बेस होता है। मतलब की स्टोरी, डायलॉग्स, ये सारी चीजें जो है डेवलपमेंट स्टेज में की जाती है।

2. Pre-production

उसके बाद आता है प्री-प्रोडक्शन स्टेज इस स्टेज में पूरी प्लानिंग होती है कि मूवी की शूटिंग किस लोकेशन पर होगी, फिल्म में हीरो-हीरोइन और अदर एक्टर्स कौन-कौन होंगे और जो फिल्म बनाने वाली टीम मूवी के शूटिंग पर कहाँ कहाँ जाएगी उसकी पूरी प्लानिंग होती है।

3. Production

इसके बाद आता है प्रोडक्शन स्टेज, इस स्टेज में मूवीस की एक्चुअल में पूरी शूटिंग होती है, जो उसकी प्लैनिंग हुई थी। उसके मुताबिक फिल्म की पूरी शूटिंग की जाती है। हम सब मूवी के शूटिंग के स्टार्ट होने से उसके अंत होने तक जितनी भी चीजें हैं, वह आती है प्रोडक्शन स्टेज के अंदर। फिर आती है लास्ट स्टेज पोस्ट प्रोडक्शन

4. Post- Production

इसमें जो मूवी शूट हुई थी उसकी एडिटिंग, विजुअल इफेक्ट्स, साउंड डिजाइन, एंड म्यूजिक वगैरा का काम किया जाता है।

अब यहां पर मूवी बनने के 4 स्टेज कंप्लीट होने के बाद फिल्म कंप्लीट बनकर तैयार हो जाती है।

अब यहां तक फिल्म के बनाने में जितने भी खर्चे हुए हैं जैसे कि हीरो-हीरोइन की प्रोडक्शन, डिजाइनिंग, टेक्नीशियन, आर्टिस्ट और भी फिल्म से जुड़े जो खर्चे हैं, इत्यादि सभी खर्च प्रोडूसर अदा करता है।

अब हम सब जानते है की प्रोडूसर जो इस मूवी पर पैसा लगाता है। वह इससे कैसे प्रॉफिट कमाता है? दोस्तों यह सारा बिजनेस मॉडल सप्लाई चेन पर काम करता है यहां पर दो केस होते हैं।

1st Case

इसमें में कुछ प्रोडूसर खुद ही डिस्ट्रीब्यूटर होते हैं। जैसे Yes Raj films, Dharma productions,Erows Now Etc

2nd Case

इस केस में इंडिविजुअल प्रोडूसर होते हैं जो दूसरे डिस्ट्रीब्यूटर को मूवी बेच देते हैं और उसमें अपना प्रॉफिट कमा लेते हैं।

दोस्तों अब यहां 2nd Case की बात करें तो Producer के लिए पहले ही मूवी हिट होती है। क्योंकि Producer ने पहले ही फिल्म को प्रॉफिट पर डिस्ट्रीब्यूटर को बेच दिया है। तो मूवी अगर कल फ्लॉप भी हो जाती है तो उसका नुकसान डिस्ट्रीब्यूटर को उठाना पड़ता है।

डिस्ट्रीब्यूटर(Destributer)

चलिए अब बात करते हैं वितरक(Destributer) की। दोस्तों असली खेल यहीं से शुरू होता है। डिस्ट्रीब्यूटर इसके बाद फिल्म के मार्केटिंग, प्रमोशन और एडवरटाइजिंग पर अच्छा खासा पैसा खर्च करता है, क्योंकि आजकल मार्केटिंग प्रमोशन का मूवीस के हिट या फ्लॉप होने में एक बहुत बड़ी भूमिका होती है।

अब मार्केटिंग और प्रमोशन करने के बाद कुल मिलाकर फिल्म का जो खर्च होता है वह यहां पर आ जाती है।

अब फिल्म रिलीज होने के लिए तैयार है। अब यहां आपके मन में सवाल उठ रहा होगा की अब डिस्ट्रीब्यूटर इस फिल्म से पैसे कैसे कमाता है?

सबसे पहले डिस्ट्रीब्यूटर जो सेटेलाइट राइट्स(Satellite Rights) और म्यूजिक राइट्स है, वह बेच(Sell) देता है। ‘सैटेलाइट राइट्स’ मतलब जब मूवी को टीवी(TV) पर दिखाया जाता है तो TV चैनल को उस मूवी के राइट्स को खरीदने के लिए Producers और डिस्ट्रीब्यूटर्स को अच्छा खासा पैसा देना पड़ता है। तो मूवी के रिलीज होने से पहले ही इस तरह के TV ,म्यूजिक ऑनलाइन राइट्स बेचने से डिस्ट्रीब्यूटर्स एक डिसेंट अमाउंट(बड़ी रकम) जमा कर लेता है।

इसके बाद आता है मेन काम मूवीस को थिएटर्स में रिलीज करवाना। इसके लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स(Distributor) अपने नीचे के सब-डिस्ट्रीब्यूटर्स(sub-distributors) को मूवीस के राइट बेच देते हैं। जो कि देश के अलग-अलग भागों में मौजूद होते हैं। अब यह सब-डिस्ट्रीब्यूटर्स(sub-distributors) उनके एरिया में जो सिनेमा थिएटर्स है, उनके मालिकों को यह मूवी के प्रिंट(Print) बेच(sell) देते हैं। अब जो फिल्म रिलीज होती है, और जो उस फिल्म के टिकट बेच कर पैसा कमाया जाता है उसे कहते हैं कुल आमदनी(Gross Income).

तो उस ग्रॉस इनकम(Gross Income) में से सारे टैक्स अदा कर देने के बाद जो नेट इनकम बचती है उसे थिएटर्स के मालिक डिस्ट्रीब्यूटर के साथ शेयर(share) करते हैं। जो कि लगभग(Generally) ही इन अनुपात(ratio) में बटी होती है।

Single screen theators

25:75

मतलब अगर मूवी 100 करोड़ कमाती है तो थिएटर्स 25 करोड़ रखेगा और डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलेंगे 75 करोड़।

Multiplex theators

मल्टीप्लेक्स में यह रेश्यो थोड़ा ज्यादा होता है,और यह हर सप्ताह के मुताबिक होता है।

Week 1- 50:50

Week 2- 60:40

Week 3- 70:30

Same as week 3

दोस्तो सब एग्रीमेंट के मुताबिक होता है। तो इस तरह से जो मूवी टिकट से पैसा कमाया जाता है उसमें डिस्ट्रीब्यूटर्स का शेयर होता है जिससे डिस्ट्रीब्यूटर्स भी प्रॉफिट कमाते हैं।

अब मान लीजिए अगर मूवी की टिकट नहीं बिकती है तो मूवी थिएटर पैसा नहीं कमा पाते। जिससे डिस्ट्रीब्यूटर्स नुकसान(lose) में चले जाते हैं, और फिल्म फ्लॉप हो जाती है।

EXAMPLE: How Do Movies Make Money

इस चीज को अच्छे से समझने के लिए एक इंडियन मूवी का उदाहरण ले लेते हैं। उदाहरण के लिए हम Example ले लेते हैं ‘हिंदी मीडियम‘ (Hindi Medium) मूवी का। How Do Movies Make Money

तो हिंदी मीडियम मूवी का बजट हम मान लेते हैं 20 करोड़, मतलब की हिंदी मीडियम मूवी 20 करोड़ की कुल खर्च पर पूरी तरह से बनकर तैयार हुई। अब मान लीजिए प्रोड्यूसर ने डिस्ट्रीब्यूटर को इस मूवी के राइट बेच दिए 40 करोड़ में। तो दोस्तों यहां पर जो इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं वह प्रॉफिट में आ चुके हैं 40 – 20= 20 करोड़

अब डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म की मार्केटिंग एंड प्रमोशन पर खर्च किए इसके ऊपर 10 करोड़। तो डिस्ट्रीब्यूटर के लिए फिल्म का पूरा खर्च हो जाएगा 50 करोड़। और अब डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म के सैटेलाइट राइट्स को 15 करोड़ में बेच दिया। तो डिस्ट्रीब्यूटर के 15 करोड़ तो यहीं से वापस(Recover) हो गया। अब डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म को इंडिया में जो अलग-अलग ‘सब-डिस्ट्रीब्यूटर’ हैं उनको बेच दिया। और इन ‘सब-डिस्ट्रीब्यूटर’ ने अपने एरिया के मूवी थिएटर के मालिकों को।

दोस्तों मैं यहां सिर्फ सिंगल स्क्रीन थिएटर(single screen theatres) का उदाहरण ले रहा हूं। ताकि आपको यह केलकुलेशन(calculation) अच्छे से समझ में आ सके।

तो मान लीजिए इस मूवी ने कुल ‘ग्रॉस इनकम'(कुल कमाई) की 100 करोड़ की टिकट सेलिंग से। दोस्तों अब इस ग्रॉस इनकम 100 करोड़ में जीएसटी(GST) जुड़ा रहता है जो कि मूवी थिएटर को गवर्नमेंट(सरकार) को पे(pay) करना रहता है, तो यहां पर कुल इनकम हो जाएगी।

100*100/28=22 करोड़

अगर आप यह सोच रहे हैं कि यह 22 करोड़ कैसे आए तो जब हम मूवी थियेटर से टिकट खरीदते हैं तो उसके अंदर जीएसटी(GST) पहले से ही जुड़ा रहता है तो इसका मतलब इस 100 करोड़ में जीएसटी जुड़ा हुआ है। तो हमें इस 100 करोड़ का 28 पर्सेंट नहीं करना है, जो इस टिकट की मूल्य थी उस पर 28 परसेंट करना होता है जो कि आता है 22 करोड़। अब टैक्स pay करने के बाद इस मूवी का कुल ग्रॉस इनकम(कुल कमाई) हो जाएगा

100 – 22= 78 करोड़

अब इसमें जैसे हमने ऊपर रेश्यो(अनुपात) बताया था कि सिंगल स्क्रीन का 25:75 ,

उस हिसाब से अब यह डिस्ट्रीब्यूटर को चला जाएगा। तो 75 करोड़ में अगर डिस्ट्रीब्यूटर का शेयर निकालेंगे तो यह होगा

78*75/100=58.5 करोड़

उसके बाद मूवी थिएटर के पास रहेगा

78 – 58.5= 19 करोड़

तो अब हम देखते हैं कि डिस्ट्रीब्यूटर को इस मूवी से कितना प्रॉफिट हुआ है। तो डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म की राइट्स producer से खरीदे थे 40 करोड़ में। और फिर इस फिल्म के मार्केटिंग और प्रमोशन पर उसने खर्च किए थे 10 करोड़, तो डिस्ट्रीब्यूटर की इस फिल्म पर कुल लागत हो जाएगी 50 करोड़। और डिस्ट्रीब्यूटर की इस फिल्म से पूरी कमाई हुई है सैटेलाइट राइट्स 15 करोड़, और मूवी थियेटर से 58 करोड़,तो कुल मिलाकर डिस्ट्रीब्यूटर की इस फिल्म से इनकम हो गई 73.5 करोड़। तो यहां पर अगर डिस्ट्रीब्यूटर अपनी लागत 50 करोड़ निकाल लेता है तो इनकम बचती है

73.5 – 50=23.5 करोड़

दोस्तो क्योंकि इस फिल्म को अच्छा प्रॉफिट हुआ है तो इस फिल्म को हिट या सुपरहिट घोषित कर दिया जाता है।

तो ऐसे ही जो फिल्म इंडस्ट्री(Film industry) का बिजनेस मॉडल है वह काम करता है। जैसा की हमने पहले ही आपको बताया था की कई मामलों में producer खुद ही डिस्ट्रीब्यूटर होते हैं। और फिल्म में बड़े एक्टर्स(Actors) काम कर रहे होते हैं तब फिल्म के सक्सेस(हिट) होने के चांसेस बढ़ जाते हैं इसलिए प्रोडूसर खुद रिस्क लेने के लिए तैयार होते हैं। मतलब की फिल्म पर पूरा खर्च करने को तैयार हो जाते हैं।

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