क्या आप पब्लिक स्पीकिंग व लोगों से बात करने के डर को दूर करने का मनोवैज्ञानिक तरीका क्या हैं ?


इस प्रश्न के अंदर दो प्रश्न छुपे हुए हैं और दोनों का अलग अलग उत्तर है।
  • अगर आपको बहुत से लोगों के सामने बात करने में डर लगे तो इसको स्टेज फ्राइट कहते हैं। हो सकता है यह आपको अपनी क्लास के सामने हो या किसी भीड़ के सामने। इसमें संख्या का बहुत असर पड़ता है। बहुत से लोग कुछ लोगों के सामने उतने भयभीत नहीं होते लेकिन जब संख्या अधिक हो जाती है तो बहुत डर जाते हैं।
  • अगर आपको किसी अजनबी से बात करने में परेशानी हो तो यह स्टेज फ्राइट से अलग है। कुछ लोग इसको शर्म के नाम से जानते हैं तो कुछ लोग संकोच के नाम से। कुछ लोग ऐसे लोगों की इंट्रोवर्ट यानि की अंतर्मुखी कहते हैं जो कि गलत है ।
हम आपको दोनों के बारे में बताते हैं की ऐसा क्यों होगा है और मनोविज्ञान के हिसाब से इसका क्या उपचार है।
स्टेज फ्राइट: हमको खुद स्टेज फ्राइट है और हमने खुद इसपर काबू पाया है क्योंकि हमको अपनी नौकरी की वजह से बहुत से प्रजेंटेशन देना पड़ता है। लेकिन हम कभी कभी अजनबी लोगों से पहली मुलाक़ात में ही मिलने पर उनका सर खाने लगते हैं। इसलिए ये दोनों अलग अलग हैं।
चलिए हम स्टेज फ्राइट के बारे में जानकारी देते हैं।
स्टेज फ्राइट कब होता है: स्टेज फ्राइट सिर्फ बात करते वक्त ही नहीं बल्कि अगर आपको भीड़ से सामने नाचना हो, या गाना हो, या कोई वाद्य यंत्र बजाना हो, या सीटी ही मारनी हो, तब भी हो सकता है।
स्टेज फ्राइट क्यों होता है: स्टेज फ्राइट का सम्बन्ध हमारी विकासशीलता से है। जब हमारे पूर्वज किसी खतरे वाली चीज जैसे की शेर को देखते थे तो उनके तीन रिएक्शन होते थे।
  • वहां से भागकर अपनी जान बचाएं।
  • वहीँ पर फ्रीज़ हो जाएँ और कुछ नहीं करें।
  • शेर से लड़ें और उसका मुक़ाबला करें।
मनोविज्ञान में इसको फाइट या फ्लाइट रिस्पांस कहते हैं। यानि की लड़ो या भागो। यह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है और इसकी शुरुआत हमारे दिमाग के लिम्बिक सिस्टम में उत्पन्न होती है।

इस वक्त इस क्रम से सब होता है।
  • हमारे दिमाग के प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स को खतरे का आभास होता है। इसको सूचना हमारे लिम्बिक सिस्टम के अमिग्डला को पहले मिलती है फिर हाइपोथैलमस को मिलती है।
  • हाइपोथैलमस हमारे शारीर में एड्रनलीन और कोर्टिजोल नामक दो हार्मोन रिलीज़ करने का काम करता है। जब आप रोलर कोस्टर में बैठ के डरते हैं तब भी यही होता है।
  • इसकी वजह से आपका शारीर आपके खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाता है जिससे आपको ऊर्जा का आभास होता है।
  • आपके दिल की धड़कने तीज हो जाती हैं।
  • आपके हाथ पाँव कापने लगते हैं।
  • आपका चेहरा सफ़ेद पड़ जाता है।
  • आपका मुंह सूख जाता है।
यही बात स्टेज फ्राइट के वक्त भी बहुत लोगों को होती है। स्टेज फ्राइट के वक्त हमारे अंदर एक लोगों के प्रतिक्रिया की चिंता होती है जो डर का रूप ले लेती है। फिर बाकी प्रक्रिया ठीक ऐसे होती है जैसे हमने ऊपर बताया है।
स्टेज फ्राइट से कैसे निपटे: यह बहुत लोगों को होता है इसलिए आपको चिंता करने की जरूरत नहीं की आप अकेले ऐसे इंसान हैं। हमारे हिसाब से यह सब करने से धीरे धीरे यह भय कम होता है।
  • आपको जो भी बोलना हो उसकी पहले से तयारी करें और जानकारी बढ़ाएं । अगर जानकारी नहीं होगी तो आपको एक डर लगेगा कि और आत्मविश्वास की कमी होगी । सबसे महत्वपूर्ण इलाज़ का भाग यही है।
  • आप जब बात कर रहे हैं तो लोगों से आँखों मिलाकर बात कीजिये। उससे आपको एक सहजता का एहसास होगा की कोई आपको काटने नहीं आया है।
  • आप ऐसे मत सोचिये की सब लोग आपकी कमियों पर ध्यान दे रहे हैं। इसको स्पॉटलाइट इफ़ेक्ट कहते हैं और हमने इसे यहाँ समझाया है 
  • इसकी जितनी हो सके उतनी प्रैक्टिस कीजिये। कभी कभी आप आईने के सामने खड़े होकर प्रैक्टिस कर सकते हैं।
  • ध्यान कीजिये। जी हाँ, इससे आपके प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स में इस पर काबू करने की शक्ति मिलेगी।
बहुत लोगों को ये होता है। किसी को कम तो किसी को ज्यादा। बस मेहनत करके ही इससे उबर सकते हैं।

सामाजिक चिंता विकार : अब हम इस प्रश्न के दूसरे भाग पर आते हैं। कुछ लोग इसको अंतर्मुखी लोगों से मिलाते हैं लेकिन वो गलत है। असल में शर्मीलापन एक सामाजिक चिंता विकार है। ऐसे लोग औरों से बात करना चाहते हैं लेकिन इस डर की वजह से नहीं कर पते। अंतर्मुखी लोग अपने आप में मग्न रहते हैं और उनको अजनबी लोगों का साथ पसंद नहीं होता। दोनों के अंतर को बहुत कम लोग समझते हैं।
सामाजिक चिंता विकार क्यों होता है: असल में इसपर आपके पालन पोषण का और आपकी संस्कृति का सबसे बड़ा असर पड़ता है। कुछ भाग तो जन्मजात होता है लेकिन इसका सबसे बड़ा हिस्सा पालन पोषण से सम्बंधित है। बचपन में लोग आपसे कैसा व्यवहार करते हैं यही सबसे मुख्य कारण है इसका।
सामाजिक चिंता विकार वाले लोगों को कैसा लगता है: असल में शर्मीले लोग अजनबी लोगों से बात करना चाहते है लेकिन बात करने के वक्त उनको एक सामजिक चिंता घेर लेती है। किसी को लगेगा की धरती फट जाये और हम इसमें समा जाएँ।

कुछ लोगों को लैंगिक हिसाब से यह विकार होता है। अगर आपने द बिग बैंग थ्योरी देखी है तो उसमे राज का पत्र निभाने वाले को लड़कियों से बात करने की चिंता है। इनको लड़कों से बात करने में कोई समस्या नहीं है लेकिन लड़कियों से बात करने में प्रॉब्लम होती है।
हालांकि यह एक टीवी शो है लेकिन असल में भी होता है। और इसका जिम्मेदार हमारा पालन पोषण और हमारा समाज है जो बहुत से देशों में लड़को और लड़कियों को बातचीत से भी दूर रखता है।
सामाजिक चिंता विकार का इलाज़ क्या है : असल में मनोविज्ञान में इसको एक बिमारी माना जाता है। और इसका िलास कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी से कर सकते हैं। इसके लिए आप किसी मनोचिकिस्तक से मिल कर इसका इलाज़ करवा सकते हैं। इसके लिए आपको प्रैक्टिस करनी होगी। आप अजनबी लोगों लोगों से मिल जुल कर यह डर कम कर सकते हैं। एक बार आपको लगेगा की लोग आपको खा नहीं जायेंगें तो यह डर अपने आप कम होने लगेगा।

No comments:

Post a Comment

Please do not entry any spam link in the comment box