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DG सेट चलते चलते बंद हो जाये,क्या करे? | DG set stop suddenly

 DG सेट चलते चलते बंद हो जाये,क्या करे? 



DG set बंद होने के कारण निचे दिए गए हैं। उनको चेक करके DG की समस्या ठीक की जा सकती है

1. Malfunction in fuel system -  ईंधन प्रणाली में खराबी
फ्यूल टैंक चेक करे या खाली है तो उसे भरे |


2.Obstruction in fuel pipe - ईंधन पाइप में रुकावट

फ्यूल पाइप चेक करे | लीकेज, कोई रुकावत हो  तो, उसे क्लियर करे या पाइप चेंज करे |


3.air exist in fuel system - ईंधन प्रणाली में हवा मौजूद है


मैनुअल पंप द्वारा एयर को निकले |


4. Obstruction in air filter - एयर फिल्टर में रुकावट


एयर फिल्टर साफ करे या बदले


5. Sudden increase of Load - लोड का अचानक बढ़ना


लोड को कम करे |


6. Nozzel needel was bitted - नोज़ल की सुई कटी




नोज़ल को साफ करे या चेंज करे |

ऊपर दी गई जानकारी को या डिटेल में देखने के लिए नेचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करें |




क्या कभी विद्युत तरंगों को भी बिना तार के एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजकर बिजली प्राप्त करना संभव होगा?


निकोला टेसला ने ये १९०१ के पहले ही दुनिया को बता दिया था की आप इलेक्ट्रिसिटी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक बिना तार के भेज सकते है।

वो एक टावर बना रहे थे जिससे शहर के सभी लोगों को बिना तार के बिजली मिल सके। लेकिन उस समय के जो लोग जिन लोगों ने अपने पैसे इस प्रोजेक्ट में लगाए थे वो फ़्री में बिजली देना नहीं चाहते थे तो उन लोगों ने ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने दिया और हमने ये एक एंजिनीरिंग की मिसाल खो दी।

अब क़रीब १०० साल बाद हम लोग बहुत ही छोटी मात्रा में बिजली की ट्रान्स्फ़र कर पाए है जिसे हम wireless मोबाइल चार्जर में उपयोग कर रहे है।

बिजली की तार में हाई वोल्टेज करंट होने के बाद भी वह पिघलती क्यों नहीं है, जबकि वह आग से भी ज्यादा खतरनाक है?



कोई भी तार धातु का बना होता है, और प्रत्येक धातु का एक गलनांक होता है, मतलब उतने तापमान पर वो पिघलने लगेगा या तकनीकी भाषा में कहा जाए तो वह तापमान जिस पर वह ठोस अवस्था से तरल में बदलता है, उसका गलनांक कहलाता है।

आइए पहले देखते हैं कि कुछ धातुएं जिन्हें बिजली के तार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उनका गलनांक कितना होता है→

  • तांबा→ 1085℃
  • एल्युमीनियम→ 660.3℃
  • लोहा→ 1538℃

तो किसी भी तार में सामान्यतः इतना करंट कभी भी नहीं होता कि वो उपरोक्त तापमान तक गर्म हो। कभी-कभी शार्ट-सर्किट या अर्थ फ़ॉल्ट की वजह से फ़ॉल्ट करंट इस हद तक बढ़ सकता है कि तार के पिघलने लायक तापमान बढ़ सके, मगर ये क्षणिक होता है। ऐसी परिस्थिति में उस तापमान पर तार जहाँ सबसे कमजोर है, जैसे कि जोड़ इत्यादि पर, वहाँ से टूट कर अलग हो जाता है।


इसके अतिरिक्त और एक पैरामीटर है जो कि ध्यान में रखना जरूरी है, और वो है किसी भी धातु पर उसमें गुजरने वाले करंट का उष्मीय प्रभाव। यानि कि करंट जब किसी धातु के बने बिजली के तार में से गुजरता है तो कितनी गर्मी पैदा करता है।

यह भी पड़े - बिजली के उत्पादन से लेकर घरों में वितरण तक की व्यवस्था

इसे मापने का फार्मूला कुछ इस प्रकार है→

H = I^2*R×t

जहाँ

H = उष्मीय प्रभाव

I = करंट

R = रसिस्टेंस

t = समय

उल्लेखनीय है कि इसी सिद्धांत का उपयोग करते हुए कॉइल वाले हीटर और प्रेस एवं गीजर के एलीमेंट बनाये बनाये जाते हैं। जिनमें विद्युत करंट के उष्मीय प्रभाव का उपयोग करते हुए गर्मी पैदा की जाती है। ऐसे कॉइल या एलीमेंट को बनाने के लिए जो मटेरियल इस्तेमाल किए जाते हैं वो हैं नाइक्रोम और मैंग्नीन ,जिनकी खासियत है हाई रेसिस्टिविटी और उच्च गलनांक।

हाई रेसिस्टिविटी का अर्थ है की ये पद्धार्थ करंट को आसानी से गुजरने नहीं देते हैं, जिसके चलते रेसिस्टेन्स लॉस बढ़ जाते हैं और गर्मी पैदा होती है। जबकि बिजली के तारों को बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले मटेरियल बहुत ही लो यानि कि कम रेसिस्टिव होते हैं, अतः यहाँ रेसिस्टिव लॉस भी एकदम नगण्य होते हैं और ज्यादा गर्मी पैदा नहीं होती, जिसके फलस्वरूप उनका तापमान इतना नहीं बढ़ता की वो पिघल जाएं।

सन्दर्भ के लिए कुछ पदार्थों की रेसिस्टिविटी यहाँ देखी जा सकती है→

  • कॉपर: 1.68 × 10^ —8 ओम मीटर
  • एल्युमीनियम: 2.65 × 10^ —8 ओम मीटर
  • लोहा: 9.71 × 10^ —8 ओम मीटर
  • नाइक्रोम: 100 × 10^ —8 ओम मीटर
  • मैंग्नीन: 48.2 × 10^ —8 ओम मीटर

दूसरी बात इन तारों में जितनी अधिक वोल्टेज होगी, (हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन) उतना ही करंट कम होगा, क्योंकि यदि सर्किट की पॉवर लगभग एक जैसी रहती है तो वोल्टेज बढ़ाने पर करंट कम हो जाएगा। ये चीज़ भी रेसिस्टेन्स लॉस को कम रखती है और बिजली के तारों में उन्हें पिघलाने लायक गर्मी पैदा नहीं होती।

यह भी पड़े - विद्युत वोल्टेज 11 के गुणज में ही क्यों होता है जैसे 110v, 220v, 440v, 1100v 2200v, 11000v?

SI Unit and non SI with Symbal

 

SI DIVIDED UNITS

Quantity

Unit Name

Unit Symbol

Expression in terms of SI base unit

force

newton

N

m kg s-2

energy

joule

J

m2 kg s-2

power

watt

W

m2 kg s-3

pressure, stress

pascal

Pa

m-1 kg s-2

electric potential

volt

V

m2 kg s-3 A-1

electric charge

coulomb

C

s A

electric flux

coulomb

C

s A

magentic flux

weber

Wb

m2 kg s-2 A-1

magnetic flux density

tesla

T

kg s-2 A-1

electric resistance

ohm

Ω

m2 kg s-3 A-2

electric conductance

siemens

S

m-2 kg-1 s3 A2

capacitance

farad

F

m-2 kg-1 s4 A2

inductance

henry

H

m2 kg s-2 A-2

Celsius temperature*

degree Celsius

oC

K

frequency

hertz

Hz

s-1

luminous flux

lumen

Im

cd sr

activity (of a radionuclide)

becquerel

Bq

s-1

absorbed dose

grey

Gy (=J/Kg)

m2 s-2

dose equivalent

sievert

Sv (=J/Kg)

m2 s-2

mass density

kilogram per cubic metre

kg/m3

m-3 kg

moment of force

newton metre

N m

m2 kg s-2

torque

mewton metre

N m

m2 kg s-2

electric field strength

volt per metre

V/m

m kg s-3 A-1

electrical displacement

coulomb per square metre

C/m2

m-2 s A

magnetic field strength

ampere per metre

V/m

m-1 A

NON-SI UNIT

angle degree (1° = π/180 rad); minute (1’ = (1⁄60)°)

second (1” = (1⁄60)’); revolution (1 r = 2πrad)

energy calorie (cal); electronvolt (eV); watt-hour (W h)

length ångström (Å)

mass ton (ton); tonne (= metric ton) (t)

unified atomic mass unit (u)

pressure, stress atmosphere (atm); bar (bar); torr (Torr)

rotational frequency revolution per minute (r/min)*, revolution per second (r/s)*

time minute (min); hour (h); day (d); year (a)

volume litre (L, l or litre)

*These are widely used for rotational frequency in specifications of rotating machinery.