पानी के अंदर इलेक्ट्रिकल वेल्डिंग कैसे संभव होता है?

इस सवाल का सीधे अर्थो में मतलब ये है कि जब पानी विद्युत का एक अच्छा चालक है तो इस हिसाब से वेल्डिंग करने वाले को करंट लग जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है ओर असल में ये वैट वेल्डिंग प्रोसेस पानी के अंदर भी की जाती है।

वेल्डिंग करने के लिए तीन चीजे की जरूरत होती है।

1:- कंट्रोल पैनल, जो कि पानी के बाहर होता है।

2:- वायर यानी तार

3:- इलेक्ट्रोड्स

तो तार ओर इलेक्ट्रोड्स जिनसे पानी में करंट लगने का खतरा होता है वे पूरी तरह से वाटर इंसुलेट होते है या कहिए वाटर प्रूफ होते है। आर्क उत्पन्न करने के लिए हमे एक बंद सर्किट की आवश्यकता होती है, जिसके लिए हम तारो की सहायता से कंट्रोल पैनल को इलेक्ट्रोड और वर्कपीस यानी जिस पर वेल्डिंग करनी है, से जोड़ देते है।

(स्रोत:- गूगल चित्र)

अब वेल्डिंग में कुशल व्यक्ति जो कि कुशल गोताखोर भी है, वह पानी में जाकर वेल्डिंग करता है। वेल्डिंग की प्रकिया में जब इलेक्ट्रोड ओर वर्कपीस पास आते है तो वर्कपीस ओर इलेक्ट्रोड दोनों के परमाणु पॉजिटिव ओर नेगेटिव चार्ज में टूट जाते है ओर दूसरे के आयनों को अप्रोच करते है, जिससे वेल्डिंग की प्रोसेस होती है।

यह प्रक्रिया में काफी एनर्जी निकलती है। यह प्रक्रिया एक्सपर्ट के अलावा कोई भी नहीं करता है क्योंकि कितनी भी सेफ्टी हो पानी के अंदर करंट का डर तो बना ही रहता है।।

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