आकाशीय बिजली का निर्माण कैसे होता है? बादल और धरती के बीच में बहुत दूरी होती है फिर बिना किसी माध्यम के बिजली कैसे गिरती है? How does celine power build? There is a lot of distance between the cloud and the earth, then how does the power fall without any medium?

स्टेटिक चार्ज तो सुना ही होगा सबने या महसूस किया होगा, बचपन में हम गुब्बारे को अपने शरीर या कपड़ों से रगड़ते थे और फिर वह गुब्बारा काग़ज़ या अन्य पदार्थों को अपनी तरफ खीच लेता था या कभी कभी हम किसी मेटल या अन्य किसी चीज़ को छू लेते हैं तो एक कंपन महसूस करते हैं उसे ही स्टेटिक चार्ज बोलते हैं जब एक नेगेटिव चार्ज का पॉज़िटिव चार्ज से घर्षण होता है।

सबको यह तो पता ही होगा कि जब तापमान गर्म होता है तो समुंद्र या नदियों को पानी वाष्प बन ऊपर बादलों का रूप ले लेता है या इकठ्ठा होने लगता है, जैसे यह नमी ऊपर जाती है शीत लहर के चलते कुछ कण क्रिस्टल का रूप ले लेते हैं और कुछ गर्म वायु के कारण बूंदों का रूप ऐसे ही अनगिनत बादलों का निर्माण होता हैं जब क्रिस्टएल और बूंदे या कहिए कि (negative and positive particles)आपस में टकराती है तो आवाज़ के साथ घर्षण करती हैं जिससे तड़ित प्रवाह होता है।

बादलों में उपस्थित जो कण धनात्मक आवेश ( पॉज़िटिव चार्ज) के होते हैं वो ऊपर चलें जाते है और ऋणात्मक आवेश (नेगेटिव चार्ज) वाले नीचे हो जाते है और ऐसे सभी बादलों में होता है और गर्म हवा जब शीत लहर से टकराती हैं तो धनात्मक आवेश बादल ऋणात्मक आवेश वाले बादल से टकराते अगर सरल भाषा में बोलू तो नेगेटिव चार्ज वाले बादल पॉज़िटिव चार्ज वाले बादल से जब रगड़ते हैं तो स्टेटिक ऊर्जा उत्पन्न होती हैं साथ में गर्म ठंडे वायु के कण आपस में दवाब के साथ टकराते हैं जिससे घर्षण पैदा होता हैं जो आवाज़ करता हैं और जिससे बिजली कड़कती है।

बेशक बादलों और पृथ्वी के बीच में बहुत दूरी है किन्तु स्टेटिक चार्ज एक शक्तिशाली विद्युतीय चुंबक का काम करती है इसलिए जब बादलों में नीचे बैठे नेगेटिव चार्ज धरती पर किसी भी पॉज़िटिव चार्ज से आकर्षित होते है तो उनमें घर्षण पैदा होता है और स्टेटिक चार्ज उपन्न करते हैं और साथ में वायुमंडल में गर्म और शीत लहरों के अत्यधिक दवाब के कारण नमी के ये छोटे छोटे कण वायुमंडल में फ़ैल जाते है जिससे बिजली उत्पन होती है और इसे ही तड़ित या फ़िर बिजली कड़कना बोलते है।

कभी किसी बहुत गर्म तवे के ऊपर पानी डालकर देखें आवाज़ के साथ चिंगारी निकलती है।

प्रकाश का वेग ध्वनि के वेग से बहुत अधिक है इसलिए हमे बिजली पहले दिखाई देती हैं फ़िर सुनाई पड़ती है।।

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