फिल्म इंडस्ट्री कैसे पैसा कमाती है ,और सिनेमा कैसे पैसा कमाते हैं?

सिनेमा तो हम सभी देखते हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि यह मूवीस पैसा कैसे कमाती है? . मूवीस तो थिएटर में दिखाई जाती है ना तो उससे मूवीस के प्रड्यूसर को कैसे प्रॉफिट मिलता है? या फिर क्या मूवीस सिर्फ टिकट सेलिंग से ही पैसा कमाती है? आज के इस में हम आपको इन्हीं सबके बारे में बताने जा रहे हैं कि इंडिया में जो फिल्म इंडस्ट्री है उसका बिजनेस मॉडल क्या है?

फिल्म इंडस्ट्री की कमाई से पहले हम लोग यह समझते हैं कि एक मूवी को बनने में कितने तरह के खर्चों लगते हैं?

इसको चार पार्ट में डिवाइड किया गया है, मतलब कि जब एक मूवी बनती है तो वह इन चार स्टेज से होकर गुजरती है।

1. Development

2. Pre- Production

3. Production

4. Post- Production

1. Development

डेवलपमेंट स्टेज में आता है स्क्रिप्ट राइटिंग जो कि एक मूवी बनाने का सबसे स्टार्टिंग पॉइंट होता है। मतलब की मूवी का बेस होता है। मतलब की स्टोरी, डायलॉग्स, ये सारी चीजें जो है डेवलपमेंट स्टेज में की जाती है।

2. Pre-production

उसके बाद आता है प्री-प्रोडक्शन स्टेज इस स्टेज में पूरी प्लानिंग होती है कि मूवी की शूटिंग किस लोकेशन पर होगी, फिल्म में हीरो-हीरोइन और अदर एक्टर्स कौन-कौन होंगे और जो फिल्म बनाने वाली टीम मूवी के शूटिंग पर कहाँ कहाँ जाएगी उसकी पूरी प्लानिंग होती है।

3. Production

इसके बाद आता है प्रोडक्शन स्टेज, इस स्टेज में मूवीस की एक्चुअल में पूरी शूटिंग होती है, जो उसकी प्लैनिंग हुई थी। उसके मुताबिक फिल्म की पूरी शूटिंग की जाती है। हम सब मूवी के शूटिंग के स्टार्ट होने से उसके अंत होने तक जितनी भी चीजें हैं, वह आती है प्रोडक्शन स्टेज के अंदर। फिर आती है लास्ट स्टेज पोस्ट प्रोडक्शन

4. Post- Production

इसमें जो मूवी शूट हुई थी उसकी एडिटिंग, विजुअल इफेक्ट्स, साउंड डिजाइन, एंड म्यूजिक वगैरा का काम किया जाता है।

अब यहां पर मूवी बनने के 4 स्टेज कंप्लीट होने के बाद फिल्म कंप्लीट बनकर तैयार हो जाती है।

अब यहां तक फिल्म के बनाने में जितने भी खर्चे हुए हैं जैसे कि हीरो-हीरोइन की प्रोडक्शन, डिजाइनिंग, टेक्नीशियन, आर्टिस्ट और भी फिल्म से जुड़े जो खर्चे हैं, इत्यादि सभी खर्च प्रोडूसर अदा करता है।

अब हम सब जानते है की प्रोडूसर जो इस मूवी पर पैसा लगाता है। वह इससे कैसे प्रॉफिट कमाता है? दोस्तों यह सारा बिजनेस मॉडल सप्लाई चेन पर काम करता है यहां पर दो केस होते हैं।

1st Case

इसमें में कुछ प्रोडूसर खुद ही डिस्ट्रीब्यूटर होते हैं। जैसे Yes Raj films, Dharma productions,Erows Now Etc

2nd Case

इस केस में इंडिविजुअल प्रोडूसर होते हैं जो दूसरे डिस्ट्रीब्यूटर को मूवी बेच देते हैं और उसमें अपना प्रॉफिट कमा लेते हैं।

दोस्तों अब यहां 2nd Case की बात करें तो Producer के लिए पहले ही मूवी हिट होती है। क्योंकि Producer ने पहले ही फिल्म को प्रॉफिट पर डिस्ट्रीब्यूटर को बेच दिया है। तो मूवी अगर कल फ्लॉप भी हो जाती है तो उसका नुकसान डिस्ट्रीब्यूटर को उठाना पड़ता है।

डिस्ट्रीब्यूटर(Destributer)

चलिए अब बात करते हैं वितरक(Destributer) की। दोस्तों असली खेल यहीं से शुरू होता है। डिस्ट्रीब्यूटर इसके बाद फिल्म के मार्केटिंग, प्रमोशन और एडवरटाइजिंग पर अच्छा खासा पैसा खर्च करता है, क्योंकि आजकल मार्केटिंग प्रमोशन का मूवीस के हिट या फ्लॉप होने में एक बहुत बड़ी भूमिका होती है।

अब मार्केटिंग और प्रमोशन करने के बाद कुल मिलाकर फिल्म का जो खर्च होता है वह यहां पर आ जाती है।

अब फिल्म रिलीज होने के लिए तैयार है। अब यहां आपके मन में सवाल उठ रहा होगा की अब डिस्ट्रीब्यूटर इस फिल्म से पैसे कैसे कमाता है?

सबसे पहले डिस्ट्रीब्यूटर जो सेटेलाइट राइट्स(Satellite Rights) और म्यूजिक राइट्स है, वह बेच(Sell) देता है। ‘सैटेलाइट राइट्स’ मतलब जब मूवी को टीवी(TV) पर दिखाया जाता है तो TV चैनल को उस मूवी के राइट्स को खरीदने के लिए Producers और डिस्ट्रीब्यूटर्स को अच्छा खासा पैसा देना पड़ता है। तो मूवी के रिलीज होने से पहले ही इस तरह के TV ,म्यूजिक ऑनलाइन राइट्स बेचने से डिस्ट्रीब्यूटर्स एक डिसेंट अमाउंट(बड़ी रकम) जमा कर लेता है।

इसके बाद आता है मेन काम मूवीस को थिएटर्स में रिलीज करवाना। इसके लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स(Distributor) अपने नीचे के सब-डिस्ट्रीब्यूटर्स(sub-distributors) को मूवीस के राइट बेच देते हैं। जो कि देश के अलग-अलग भागों में मौजूद होते हैं। अब यह सब-डिस्ट्रीब्यूटर्स(sub-distributors) उनके एरिया में जो सिनेमा थिएटर्स है, उनके मालिकों को यह मूवी के प्रिंट(Print) बेच(sell) देते हैं। अब जो फिल्म रिलीज होती है, और जो उस फिल्म के टिकट बेच कर पैसा कमाया जाता है उसे कहते हैं कुल आमदनी(Gross Income).

तो उस ग्रॉस इनकम(Gross Income) में से सारे टैक्स अदा कर देने के बाद जो नेट इनकम बचती है उसे थिएटर्स के मालिक डिस्ट्रीब्यूटर के साथ शेयर(share) करते हैं। जो कि लगभग(Generally) ही इन अनुपात(ratio) में बटी होती है।

Single screen theators

25:75

मतलब अगर मूवी 100 करोड़ कमाती है तो थिएटर्स 25 करोड़ रखेगा और डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलेंगे 75 करोड़।

Multiplex theators

मल्टीप्लेक्स में यह रेश्यो थोड़ा ज्यादा होता है,और यह हर सप्ताह के मुताबिक होता है।

Week 1- 50:50

Week 2- 60:40

Week 3- 70:30

Same as week 3

दोस्तो सब एग्रीमेंट के मुताबिक होता है। तो इस तरह से जो मूवी टिकट से पैसा कमाया जाता है उसमें डिस्ट्रीब्यूटर्स का शेयर होता है जिससे डिस्ट्रीब्यूटर्स भी प्रॉफिट कमाते हैं।

अब मान लीजिए अगर मूवी की टिकट नहीं बिकती है तो मूवी थिएटर पैसा नहीं कमा पाते। जिससे डिस्ट्रीब्यूटर्स नुकसान(lose) में चले जाते हैं, और फिल्म फ्लॉप हो जाती है।

EXAMPLE: How Do Movies Make Money

इस चीज को अच्छे से समझने के लिए एक इंडियन मूवी का उदाहरण ले लेते हैं। उदाहरण के लिए हम Example ले लेते हैं ‘हिंदी मीडियम‘ (Hindi Medium) मूवी का। How Do Movies Make Money

तो हिंदी मीडियम मूवी का बजट हम मान लेते हैं 20 करोड़, मतलब की हिंदी मीडियम मूवी 20 करोड़ की कुल खर्च पर पूरी तरह से बनकर तैयार हुई। अब मान लीजिए प्रोड्यूसर ने डिस्ट्रीब्यूटर को इस मूवी के राइट बेच दिए 40 करोड़ में। तो दोस्तों यहां पर जो इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं वह प्रॉफिट में आ चुके हैं 40 – 20= 20 करोड़

अब डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म की मार्केटिंग एंड प्रमोशन पर खर्च किए इसके ऊपर 10 करोड़। तो डिस्ट्रीब्यूटर के लिए फिल्म का पूरा खर्च हो जाएगा 50 करोड़। और अब डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म के सैटेलाइट राइट्स को 15 करोड़ में बेच दिया। तो डिस्ट्रीब्यूटर के 15 करोड़ तो यहीं से वापस(Recover) हो गया। अब डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म को इंडिया में जो अलग-अलग ‘सब-डिस्ट्रीब्यूटर’ हैं उनको बेच दिया। और इन ‘सब-डिस्ट्रीब्यूटर’ ने अपने एरिया के मूवी थिएटर के मालिकों को।

दोस्तों मैं यहां सिर्फ सिंगल स्क्रीन थिएटर(single screen theatres) का उदाहरण ले रहा हूं। ताकि आपको यह केलकुलेशन(calculation) अच्छे से समझ में आ सके।

तो मान लीजिए इस मूवी ने कुल ‘ग्रॉस इनकम'(कुल कमाई) की 100 करोड़ की टिकट सेलिंग से। दोस्तों अब इस ग्रॉस इनकम 100 करोड़ में जीएसटी(GST) जुड़ा रहता है जो कि मूवी थिएटर को गवर्नमेंट(सरकार) को पे(pay) करना रहता है, तो यहां पर कुल इनकम हो जाएगी।

100*100/28=22 करोड़

अगर आप यह सोच रहे हैं कि यह 22 करोड़ कैसे आए तो जब हम मूवी थियेटर से टिकट खरीदते हैं तो उसके अंदर जीएसटी(GST) पहले से ही जुड़ा रहता है तो इसका मतलब इस 100 करोड़ में जीएसटी जुड़ा हुआ है। तो हमें इस 100 करोड़ का 28 पर्सेंट नहीं करना है, जो इस टिकट की मूल्य थी उस पर 28 परसेंट करना होता है जो कि आता है 22 करोड़। अब टैक्स pay करने के बाद इस मूवी का कुल ग्रॉस इनकम(कुल कमाई) हो जाएगा

100 – 22= 78 करोड़

अब इसमें जैसे हमने ऊपर रेश्यो(अनुपात) बताया था कि सिंगल स्क्रीन का 25:75 ,

उस हिसाब से अब यह डिस्ट्रीब्यूटर को चला जाएगा। तो 75 करोड़ में अगर डिस्ट्रीब्यूटर का शेयर निकालेंगे तो यह होगा

78*75/100=58.5 करोड़

उसके बाद मूवी थिएटर के पास रहेगा

78 – 58.5= 19 करोड़

तो अब हम देखते हैं कि डिस्ट्रीब्यूटर को इस मूवी से कितना प्रॉफिट हुआ है। तो डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म की राइट्स producer से खरीदे थे 40 करोड़ में। और फिर इस फिल्म के मार्केटिंग और प्रमोशन पर उसने खर्च किए थे 10 करोड़, तो डिस्ट्रीब्यूटर की इस फिल्म पर कुल लागत हो जाएगी 50 करोड़। और डिस्ट्रीब्यूटर की इस फिल्म से पूरी कमाई हुई है सैटेलाइट राइट्स 15 करोड़, और मूवी थियेटर से 58 करोड़,तो कुल मिलाकर डिस्ट्रीब्यूटर की इस फिल्म से इनकम हो गई 73.5 करोड़। तो यहां पर अगर डिस्ट्रीब्यूटर अपनी लागत 50 करोड़ निकाल लेता है तो इनकम बचती है

73.5 – 50=23.5 करोड़

दोस्तो क्योंकि इस फिल्म को अच्छा प्रॉफिट हुआ है तो इस फिल्म को हिट या सुपरहिट घोषित कर दिया जाता है।

तो ऐसे ही जो फिल्म इंडस्ट्री(Film industry) का बिजनेस मॉडल है वह काम करता है। जैसा की हमने पहले ही आपको बताया था की कई मामलों में producer खुद ही डिस्ट्रीब्यूटर होते हैं। और फिल्म में बड़े एक्टर्स(Actors) काम कर रहे होते हैं तब फिल्म के सक्सेस(हिट) होने के चांसेस बढ़ जाते हैं इसलिए प्रोडूसर खुद रिस्क लेने के लिए तैयार होते हैं। मतलब की फिल्म पर पूरा खर्च करने को तैयार हो जाते हैं।

इंटरपोल क्या है और इसके क्या कार्य हैं?


INTERPOL Meaning & Functions

इंटरपोल (The International Criminal Police Organization) 192 सदस्य देशों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है. इसकी स्थापना के पीछे मुख्य उद्येश्य दुनिया की पुलिस को इतना सक्षम बनाना है कि पूरी दुनिया रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान बन सके. इंटरपोल की स्थापना का सबसे पहला विचार 1914 में मोनाको में आयोजित पहली अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस कांग्रेस में हुआ था. आधिकारिक तौर पर इसकी स्थापना 1923 में 'अंतर्राष्ट्रीय अपराध पुलिस आयोग' के रूप में की गयी थी. इस संगठन को 1956 में “इंटरपोल” के नाम से जाना जाने लगा. इंटरपोल का मुख्यालय लियोन, फ्रांस में स्थित है और इसके वर्तमान चेयरमेन "मेन्ग होंगवेई" हैं.
इंटरपोल के क्या कार्य हैं?
इंटरपोल 192 सदस्य देशों में पुलिस को अंतरराष्ट्रीय अपराध से लड़ने के लिए मिलकर काम करने में सक्षम बनाता है. यह मुख्य रूप से इन तीन प्रकार के अपराधों के लिए अपनी पुलिस विशेषज्ञता और क्षमताओं का इस्तेमाल करता है.
1. काउंटर-आतंकवाद
2. साइबर अपराध
3. संगठित अपराध
इंटरपोल सभी सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के साथ मिलकर काम करता है ताकि अंतरराष्ट्रीय अपराध से मुकाबला किया जा सके.
इसके मुख्य कार्यों को इस प्रकार बांटा जा सकता है:
1. वैश्विक पुलिस संचार सेवाओं की सुरक्षा करना (Securing Global Police Communication Services)
इंटरपोल ने एक वैश्विक पुलिस संचार प्रणाली विकसित की है, जिसे I-24/7 (सूचना 24x7) के नाम से जाना जाता है, जो कि किसी भी सदस्य देश को सुरक्षित तरीके से डाटा प्राप्त करने, जमा करने की सुविधा देता है. संपर्क ब्यूरो Liaison Bureau (LB) इस प्रणाली से जुड़ा है और किसी देश के प्रमुख अधिकारी एल.बी. के माध्यम से इंटरपोल सेवाओं को प्राप्त कर सकते हैं.



2. पुलिस के लिए डेटा सेवाएं उपलब्ध कराना
पुलिस के लिए ऑपरेशनल डेटा सेवाएं और डेटाबेस I-24/7 के माध्यम से सदस्य देशों ( आर्म्ड फोर्स सहित) इस डेटा को जरुरत पड़ने पर सीधे प्राप्त कर सकते हैं. इसमें खोया हुआ यात्रा दस्तावेज, मोटर वाहन की चोरी, विशिष्ट पेंटिंग्स की चोरी, डीएनए फ़िंगरप्रिंट और नकली भुगतान कार्ड इत्यादि से जुडी जानकारी प्राप्त की जा सकती है.world communication network

3. वैश्विक अपराधियों के खिलाफ नोटिस जारी करना
इंटरपोल भी अंतरराष्ट्रीय सूचनाओं की एक प्रणाली के माध्यम से जघन्य अपराध से संबंधित डेटा को फैलाता है. सदस्य देशों के अनुरोधों के आधार पर, इंटरपोल जनरल सचिवालय (IPSG) संगठन की चार आधिकारिक भाषाओं (अरबी, अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पैनिश) में नोटिस जारी करता है

4. संगठित और नए प्रकार के अपराध को कम करना:
संगठित अपराधों, आपराधिक नेटवर्क, अवैध बाजारों का खात्मा और कमजोर समुदायों की रक्षा करना, त्वरित और  व्यवस्थित सहायता के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार करने वाले भगोड़े अपराधियों को ढूंढना और गिरफ्तार (जैसे भारत सरकार इस्लामिक प्रचारक जाकिर नायक को गिरफ्तार करने के लिए इंटरपोल की मदद ले रही है) करना और मानव तस्करी को रोकना भी इंटरपोल के कार्यों में शामिल है.
5. इसके अलावा इंटरपोल के कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता बनाना और रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल, परमाणु और विस्फोटक खतरों से निपटने के उपाय करना शामिल हैं.interpol red corner notice


6. साइबर अपराध से विश्व में उभरती हुई चुनौतियों की पहचान करना, उनकी जाँच करना और साइबर अपराध के विरुद्ध नई प्रौद्योगिकियों का विकास करके साइबर अपराध से होने वाले खतरों से निपटने के लिए युक्ति बनाना आदि भी इसकी कार्यशैली का हिस्सा है.
इस प्रकार आपने पढ़ा कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए इंटरपोल किस तरह के कार्य करता है और वैश्विक आतंकबाद, साइबर अपराध और मानव तस्करी को रोकने में इंटरपोल की क्या भूमिका है

कोरोना क्या है इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में?


किसी विद्युतचालक के आसपास के तरल (जैसे हवा) के आयनित होने के कारण विद्युत विसर्जन को किरीट विसर्जन या 'कोरोना डिस्चार्ज' (corona discharge) कहते हैं। किरीट विसर्जन उस स्थिति में होता है जब चालक के आसपास विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मान इतना हो कि वहाँ एक चालक क्षेत्र (conductive region) बन जाय किन्तु इतना अधिक भी न हो कि विद्युत भंजन (electrical breakdown) की स्थिति उत्पन्न हो।

World Economic Forum क्या है और इसके क्या कार्य हैं?'

वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के क्या कार्य हैं?

'World Economic Forum" विश्व आर्थिक मंच निजी और सार्वजनिक सहयोग के लिए काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है. इस मंच पर प्रसिद्ध नेता, उद्योगपति और समाज को आकार देने वाले सांस्कृतिक नेताओं को जगह दी जाती है. इसके अलावा मंच पर क्षेत्रीय और उद्योग से जुड़े मुद्दों को भी उठाया जाता है| फोरम का एकमात्र उद्देश्य विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों के प्रमुखों को एक साथ लाकर औद्योगिक दिशा तय करना है. मंच की कोशिश रहती है कि सभी तरह के प्रयास में नैतिक और बौद्धिक अखंडता का पूरा सम्मान हो.

ट्रांसफार्मर में शोर क्यों उत्पन्न होता है?

ट्रांसफार्मर में शोर क्यों उत्पन्न होता है?


ट्रांसफार्मर शोर को प्रभावित करने वाले कारक

1. नो-लोड शोर को प्रभावित करने वाले कारक

 

लौह कोर शोर पैदा करने का कारण मुख्य रूप से वैकल्पिक चुंबकीय क्षेत्र के तहत है, सिलिकॉन स्टील शीट का आकार थोड़ा बदल जाएगा। चूंकि magnetostrictive भिन्नता अवधि बिजली आपूर्ति आवृत्ति की आधा अवधि है, ट्रांसफॉर्मर निकाय की magnetostrictive कंपन दो बार बिजली आवृत्ति पर आधारित है। इसलिए, सिलिकॉन स्टील शीट का कंपन मुख्य रूप से फेरोमैग्नेटिक सामग्री के कारण होता है। खींचने की सुविधा के कारण।

 

मैग्नेटोस्ट्रिक्शन सिलिकॉन स्टील शीट की सामग्री से संबंधित है। जितना अधिक चुंबकत्व, शोर जितना अधिक होगा। जब चुंबकीय क्षेत्र की ताकत समान होती है, तो अच्छी सामग्री से बने सिलिकॉन स्टील शीट में एक छोटा चुंबकत्व होता है, इसलिए शोर भी छोटा होता है।

 

चुंबकत्व भी चुंबकीय क्षेत्र की ताकत से संबंधित है। चुंबकीय क्षेत्र मजबूत है, बड़ा ε है।

 

मैग्नेटोस्ट्रिक्शन यह भी संबंधित है कि सिलिकॉन स्टील शीट की सतह पेंट या एनीलेड है क्योंकि कोटिंग में सिलिकॉन स्टील शीट के आसंजन है और सिलिकॉन स्टील शीट के विरूपण को रोक सकता है। एक ही चुंबकीय क्षेत्र की ताकत पर चुने गए सिलिकॉन स्टील शीट में अनएनल सिलिकॉन स्टील शीट की तुलना में बहुत छोटा चुंबकत्व है। यह इस तथ्य के कारण है कि इष्टतम एनीलिंग प्रक्रिया का चयन करके, चुंबकत्व कई बार कम किया जा सकता है।

 

ट्रांसफॉर्मर नो-लोड शोर अपनी सामग्री के अलावा, आदि, लेकिन जोड़ों से भी संबंधित है।

 

2. नो-लोड शोर को प्रभावित करने वाले अन्य कारक

 

(1) कोर संरचना का प्रभाव। शोर स्टेम और योक के व्यास, कोर खिड़की की ऊंचाई, कोर खिड़की की चौड़ाई, और कोर की गुणवत्ता से संबंधित है। कोर गुणवत्ता में प्रत्येक 1t कमी के लिए, शोर 1/3 डीबी (ए) द्वारा कम किया जा सकता है। जब मूल खिड़की की ऊंचाई कोर व्यास के अनुपात 0.1 से कम हो जाती है, तो ट्रांसफॉर्मर शोर 2-3 डीबी से कम हो जाता है।

 

(2) नो लोड लोड शोर की आवृत्ति शक्ति आवृत्ति से दोगुनी पर इसकी मौलिक आवृत्ति है। लौह कोर में मौलिक आवृत्ति चुंबकीय प्रवाह के अलावा, उच्च आवृत्ति चुंबकीय प्रवाह होते हैं, इसलिए नो लोड लोड शोर की आवृत्ति में दो से अधिक उच्च आवृत्ति तरंगें होती हैं। जब कोर टैंक की प्राकृतिक आवृत्ति शोर आवृत्ति के करीब होती है, तो शोर अनुनाद होता है और शोर बढ़ेगा। इसलिए, ट्रांसफार्मर कोर और टैंक की प्राकृतिक आवृत्ति कुछ उच्च आवृत्ति तरंगों से बचना चाहिए।

 

(3) कोर अनुनाद को रोकने के लिए, कम शोर ट्रांसफार्मर को डिजाइन करते समय, कोर की प्राकृतिक आवृत्ति पर भी विचार किया जाना चाहिए। जब ट्रांसफार्मर की रेटेड आवृत्ति 50 हर्ट्ज होती है, तो कोर की प्राकृतिक आवृत्ति को निम्न आवृत्ति बैंड से बचना चाहिए: 75-125 हर्ट्ज, 165-235 हर्ट्ज, 275-325 हर्ट्ज, 375-425 हर्ट्ज। यदि अनुनाद आवृत्ति अनुनाद आवृत्ति बैंड से दूर है, तो कोर अनुनाद उत्पन्न नहीं करेगा।

कृत्रिम चमड़ा क्या है ?

कृत्रिम चमड़ा क्या है ? अवधारणा, प्रकार, प्राकृतिक से भिन्नता, उत्पादन की विशेषताएं और व्यावहारिक उपयोग 

कृत्रिम चमड़ा सबसे लोकप्रिय सामग्री है जो आपको कम लागत पर प्राकृतिक कपड़े की नकल करने की अनुमति देता है। जो एक महंगी खरीद नहीं कर सकता है, kozhzam के बारे में सब कुछ जानता है: गुण, विशेषताएं, जहां और जब आप इसका उपयोग कर सकते हैं या नहीं करना चाहिए। और हम आगे सीखेंगे कि कपड़ा कितना व्यावहारिक है, जो इसे प्राकृतिक सामग्री के उद्देश्य और संभावनाओं से अलग करता है।

कृत्रिम चमड़ा क्या है, या कैसे समझें कि आपके सामने एक विकल्प है?

कृत्रिम चमड़े का कपड़ा उत्पादन विधि द्वारा प्राप्त सामग्री है। यदि प्राकृतिक कपड़े किसी की त्वचा है, तो कारखानों में विकल्प बनाया जाता है। कपड़े, जूते, टोपी की सिलाई करते समय इसका उपयोग उद्योग, इंजीनियरिंग, कपड़ा कारखाने में किया जा सकता है। बहुत सी किस्में हैं, लेकिन प्रत्येक प्रकार के गैर-प्राकृतिक फाइबर को एक विशिष्ट उत्पाद के लिए डिज़ाइन किया गया है।

तकनीकी कपड़े हैं - चमड़े के विकल्प प्राकृतिक कच्चे माल से बने होते हैं, जिससे त्वचा की सतह की नकल करने की अनुमति मिलती है। कई लोगों के लिए, एक विरोधाभास पैदा होता है: अप्राकृतिक चमड़ा हमेशा एक कृत्रिम उत्पाद होता है जो लंबे समय तक नहीं रह सकता है। हालांकि, प्राकृतिक उत्पाद अभी भी निर्माताओं को उच्च-गुणवत्ता वाली सामग्री बनाने की अनुमति देते हैं, महंगे वस्त्रों से नीच नहीं।

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क्या हमें ग्रीन पीस के अभियानों का उल्लेख करना चाहिए, जो जानवरों के जीवन के लिए लड़ रहे हैं? सबसे पहले, वे यह साबित करने के लिए तैयार हैं:

  • कोझम में अद्वितीय गुण हैं।
  • ग्राहकी हमेशा सस्ती और अधिक सस्ती होगी।
  • जरूरी नहीं कि प्राकृतिक घटक का तकनीकी वातावरण से संरक्षण हो। घटकों के प्राकृतिक अंश हैं जो त्वचा की नकल करते हैं।

पॉलिमरिक मिश्रित कपड़े में एक बहु-परत संरचना होती है। यह फर्नीचर और उसके असबाब के लिए कृत्रिम चमड़े का उपयोग करने की अनुमति देता है, सजावटी कवर सिलाई और अधिक। तकनीकी रूप से, वैज्ञानिक पहले से ही 3 डी प्रिंटर पर त्वचा को प्रिंट करने के लिए वर्चुअल इंटेलिजेंस की क्षमताओं का उपयोग कर रहे हैं।

कृत्रिम सामग्री की संरचना: यह किस चीज से बना है?

कृत्रिम चमड़ा मुख्य रूप से विभिन्न बनावटों की कई परतें हैं। आधार है:

  • बुना हुआ फाइबर, जो सामग्री के "आवेदन" के लिए आधार हैं;
  • गैर बुने हुए कपड़े;
  • संसेचन एजेंट जो कुछ व्यक्तिगत संरचनाओं के स्थायित्व और स्थायित्व को सुनिश्चित करते हैं;
  • बहुलक घटक जो छिद्रपूर्ण कोटिंग की अनुपस्थिति के कारण परिष्करण के रूप में कार्य करते हैं।

कपड़े की ख़ासियत यह है कि इसके विभिन्न प्रकार आपस में भिन्न हो सकते हैं। यह निर्माता को किसी भी त्वचा की नकल बनाने की अनुमति देता है। इसके अलावा, गैर-प्राकृतिक सामग्री नमी और ठंढ के प्रतिरोधी हैं, लेकिन लगातार और मजबूत झुकने के साथ पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं हैं।

चमड़े का वर्गीकरण: संरचनाओं के बीच अंतर क्या है?

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कुछ मूल प्राकृतिक कपड़े के घटकों के गुणों से बेहतर हैं। उपभोक्ता और परिचालन गुणों के अनुसार, चमड़ा को आधार के प्रकार से विभाजित किया जाता है:

  • झरझरा या अखंड;
  • ठोस अखंड;
  • मोनोलेयर या बहुपरत;
  • प्रबलित;
  • आधारहीन या फाइबर आधारित।

यह विकल्प के बीच मुख्य अंतर है। सामग्रियों की व्यक्तिगत विशेषताओं पर भी ध्यान दें।

स्पर्श गुण: स्पर्श करने के लिए चमड़े के प्रकार को भेद

यदि आप नहीं जानते कि कृत्रिम त्वचा को वास्तविक से अलग कैसे किया जाए, तो हम कई विशेषताओं का पता लगाने की सलाह देते हैं:

  • नियुक्ति से, कपड़े ऑइलक्लोथ हो सकता है, जब आप इसके नमी-प्रूफ गुणों को संरक्षित करना चाहते हैं।
  • जूते के कपड़े में समान गुण होंगे, लेकिन बाहरी रूप से प्राकृतिक चमड़े की नकल।
  • स्थानापन्न से हेबरडैशरी उत्पाद चमड़े के उत्पादों से अलग नहीं हैं, केवल एक चमकदार चमक है, प्राकृतिक फाइबर की विशेषता नहीं है।
  • नकली चमड़े से असबाब और कपड़ों के कपड़े विशेष गुणों से संपन्न होते हैं जो उत्पादों को टिकाऊ और टिकाऊ बनाते हैं।
  • सजावटी घरेलू कपड़े केवल आंतरिक सजावट के लिए अभिप्रेत हैं, इसलिए भौतिक गुण कमजोर हैं।
  • कुछ वस्त्रों के असबाब के लिए मुड़ प्रकार का उपयोग किया जाता है।
  • उद्योग में उपयोग के लिए तकनीकी सामग्री बनाई जाती है।

वैसे, कृत्रिम चमड़ा न केवल व्यापक उपयोग की सामग्री है, बल्कि प्राकृतिक वस्तुओं की सस्ती नकल पसंद करने वालों के लिए भी एक अच्छा किफायती विकल्प है। यदि आपको प्राकृतिक कपड़े का एक मीटर खरीदने के लिए $ 10 की आवश्यकता है, तो कोज़्ज़म की पसंद के लिए दस गुना कम। हम सबसे सस्ता एनालॉग के बारे में बात कर रहे हैं, जो समान कपड़ा नमूनों के महंगे घटकों के गुणों से अधिक नहीं हो सकता है।

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हालांकि, यदि आपको 3-4 वर्षों के लिए एक सफल बैग खोजने की आवश्यकता है, तो पूर्णकालिक शुल्क लेने की तुलना में 30-35% कम भुगतान करना बेहतर है। जीवनकाल एक है, लेकिन मोजे के "परिणाम" अलग हो सकते हैं।

सिंथेटिक नरम और कठोर कपड़े

नरम कृत्रिम चमड़े का उपयोग अक्सर काटने और सिलाई के क्षेत्र में किया जाता है जब सहज उत्पादों के लिए स्केच बनाते हैं। घने फर्म आधार को जूता उत्पादन में लागू किया जाता है। ये भी हैं:

  • सिंथेटिक कपड़े;
  • कार्डबोर्ड के समान कठोर;
  • जूता नीचे के लिए सिंथेटिक प्रकार की सामग्री।

असली लेदर और एक विकल्प के बीच अंतर क्या है? कृत्रिम सामग्री के भौतिक गुण और विशेषताएं

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सामग्रियों की दो श्रेणियों के बीच लगभग कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं हैं, लेकिन लेदरेट कभी भी गंध नहीं करेगा और वास्तविक चमड़े की तरह महसूस करेगा। यह एक फायदा नहीं है, लेकिन अंतर का एक महत्वपूर्ण क्षण है। इसके अलावा, फर्नीचर या सिलाई बैग के लिए कृत्रिम चमड़े, जूते की कुछ अलग विशेषताएं हैं:

  1. प्राकृतिक आधार ठंड से कभी नहीं फूटता, लगभग जलता नहीं है।
  2. गैर-प्राकृतिक चमड़े से कपड़े का विवरण चिपकाना आसान है, इस तथ्य के बावजूद कि इसमें अधिक समय लगता है। यह प्रक्रिया महंगी और समय लेने वाली नहीं है।
  3. कृत्रिम काले चमड़े में एक ही रंग में प्राकृतिक की तुलना में अधिक वायुहीनता होती है। यह रंग पैलेट और छाया प्राप्त करने की विधि के बारे में है।
  4. कुछ लोग प्राकृतिक चमड़े के कपड़े पहनने के लिए भाग्यशाली नहीं हैं, क्योंकि उन्हें इससे एलर्जी होती है। ऊपर Hypoallergenic कृत्रिम उत्पाद, हानिरहित गारंटी।

इसके अलावा, प्राकृतिक वस्त्र चमड़े के रूप में उत्पादों के कई रूपों की पेशकश करने में सक्षम नहीं होंगे। इसमें आप जूते से लेकर बच्चों के सामान तक सब कुछ कर सकते हैं। कृत्रिम चमड़े की समीक्षा लंबे समय से सकारात्मक रही है, और खरीदारों को केवल खुशी है कि वांछित उत्पाद को एनालॉग वस्त्रों की श्रेणी में खरीदा जा सकता है, कम भुगतान करना, अधिक प्राप्त करना (भौतिक गुणों और क्षमताओं के संदर्भ में)।

वास्तविक चमड़े के भौतिक गुण: कृत्रिम समकक्षों के साथ यह क्या देता है?

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प्राकृतिक कपड़े में हमेशा अपने स्वयं के "देशी" गुण होंगे जो इसके लिए अद्वितीय हैं। अन्य वस्त्रों के साथ उन्हें समाप्त करना असंभव है, इसलिए प्राकृतिकता के लिए सामग्री की जांच करते समय एक शुरुआत करने की आवश्यकता है:

  1. गर्मी हस्तांतरण। मानव हाथों की गर्मी से त्वचा हमेशा गर्म रहती है। यदि आप इसे छूते हैं, तो यह सूखा रहता है, लेकिन कृत्रिम कपड़े थोड़ा नम हो जाएगा।
  2. उत्पाद की मोटाई। प्राकृतिक चमड़े की तुलना में कृत्रिम सामग्री के किनारे हमेशा पतले होते हैं। Kämka दौर, खुरदरापन के साथ थोड़ा संपन्न। चिकनी प्रकार का किनारा केवल कृत्रिम कपड़ों में पाया जाता है।
  3. प्राकृतिक वस्त्रों के बीच लोच मुख्य अंतर है। यदि आप त्वचा के एक टुकड़े को मोड़ते हैं, तो यह ठीक झुर्रियों के रूप में प्रकट होगा, लेकिन सीधे होने के बाद यह भी बन जाएगा, जिसे विकल्प के बारे में नहीं कहा जा सकता है।
  4. रंग स्पेक्ट्रम जब मुड़ा हुआ, दबाया या संपीड़ित किया जाता है तो प्राकृतिक आधार पर नहीं बदलता है। कृत्रिम सामग्री इसके संपर्क में आने पर शेड को बदल देगी।
  5. गंध केवल कृत्रिम सामग्री में तेज होगा। अब आप मास्को में अच्छी गुणवत्ता वाले विकल्प पा सकते हैं। कृत्रिम चमड़े का अक्सर स्प्रे, सुगंध के साथ इलाज किया जाता है, इसलिए नकली को भेद करना बहुत मुश्किल है। इसका मतलब यह नहीं है कि निर्माता ग्राहक को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं, इसके विपरीत। जानबूझकर स्थानापन्न की अधिकतम समानता बनाई गई है ताकि बात अधिकतम प्राकृतिक कपड़े के गुणों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करे।
  6. गैर-प्राकृतिक फाइबर के छिद्र समान आकार और गहराई में भी समान होंगे। वास्तविक चमड़े में मनमानी व्यवस्था अंतर्निहित है।
  7. आधार। कट में इंटरलेस्ड फाइबर होते हैं? तो, इससे पहले कि आप "प्राकृतिक उत्पादों"। कपड़े का आधार अन्यथा सुझाव देता है।

प्रस्तावित गौण या बात की स्वाभाविकता की जांच करने के अन्य तरीके भी हैं। और इसे स्टोर में कैसे करें, वीडियो से सीखें।

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आग और पानी से प्रभावित

बाजार में आप सत्यापन के इन तरीकों का उपयोग नहीं कर सकते हैं। केवल घर पर ही कपड़े पर यांत्रिक प्रभाव डालना संभव है:

  • असली लेदर 3-6 सेकंड के लिए आग से संपर्क करने पर प्रतिक्रिया नहीं करेगा। कुछ निर्माताओं कोज़िनम की सतह को एनीलाइन कोटिंग के साथ मानते हैं, जो इसे पिघलाने की अनुमति नहीं देता है।
  • असली लेदर नमी को सोख लेता है, और लेदर गीला रहेगा।

लेकिन एक पेशेवर चमड़े और गैर-प्राकृतिक उत्पादों के बीच अंतर के बारे में क्या कहेगा:

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चेकों के अलावा लेबल पर जानकारी पढ़ने की विधि को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

टैग: वह आप सभी को खरीद के बारे में बताएगी?

यह ज्ञात है कि टैग में उत्पाद के बारे में वास्तविक जानकारी होनी चाहिए। ऐसा है, इसलिए, उन्हें पढ़ना और देखना अनिवार्य है, खासकर जब महंगी चीजें खरीदते हैं।

  1. एक नियमित रूप से रोम्बस के रूप में एक लेबल एक विकल्प की उपस्थिति को इंगित करता है। फटा हुआ रंबल - आपके सामने असली लेदर है।
  2. कृत्रिम चमड़े के रंगों को उन नामों से भी इंगित किया जाता है जो उत्पाद के गामा को निर्धारित करते हैं।

शिलालेख के साथ प्राकृतिक कपड़े होंगे:

  • असली चमड़ा (अंग्रेजी में);
  • वेरा पेले (इतालवी में);
  • क्यूर (फ्रेंच में);
  • echtleder (जर्मन में)।

यदि लेबल कुछ भी नहीं है, बल्कि, इससे पहले कि आप लेदरेट करें।

विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक कपड़े

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प्राकृतिक चमड़े को न केवल रंग से विभाजित किया जाता है, बल्कि उत्पादन की विधि, जानवरों के चयन और प्रसंस्करण के तरीकों से भी विभाजित किया जाता है:

  1. पिगस्किन - मूल्य खंड में सबसे सस्ती। बजट उत्पादों के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है: जूते, अस्तर, जैकेट।
  2. बुल त्वचा मोटी, सख्त, टिकाऊ होती है, लेकिन अपने भौतिक गुणों के कारण मजबूत नहीं होती है। वे इसे बैकपैक, बेल्ट और औसत मूल्य सीमा के जूते से बनाते हैं।
  3. भेड़ का चमड़ा - नरम और टिकाऊ, बैग, जैकेट, दस्ताने के निर्माण के लिए डिज़ाइन किया गया।
  4. बछड़ा कपड़े बहुत नरम है, लेकिन पहनने के प्रतिरोध की एक उच्च डिग्री है। झुर्रियाँ और झुर्रियाँ कभी नहीं होती हैं।
  5. बकरी का चमड़ा घना होता है, लेकिन मुलायम होता है, और सबसे अधिक बार प्रीमियम-ग्रेड का सामान बनाया जाता है - पर्स, सामान, पर्स, बैग और जैकेट।
  6. हिरण के चमड़े में सबसे अच्छी विशेषताएं होती हैं, लेकिन इससे बने उत्पाद व्यावहारिक रूप से रूसी बाजार में नहीं मिलते हैं। यह गर्म रहता है, फर के साथ गर्म सर्दियों के जैकेट बनाने के लिए उपयुक्त है। यह एक स्कैंडिनेवियाई या फिनिश ब्रांड के उत्पादन में पाया जाता है।
  7. मगरमच्छ और साँप की त्वचा - पहली ताकत बढ़ी है, और दूसरी - मूल उपस्थिति।

शुतुरमुर्ग त्वचा भी है, जो इसकी ताकत और लोच में अन्य प्रजातियों से भिन्न होती है। इससे रेनकोट, जैकेट और लग्जरी एक्सेसरीज़ बनाते हैं।

विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थ दाग

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यदि कृत्रिम सफेद त्वचा रंगाई का परिणाम है, तो उसी रंग का प्राकृतिक कपड़ा शिल्प कौशल की कला है।

  1. नप्पा - त्वचा को प्लास्टिसिटी और कोमलता देने के लिए रासायनिक उत्पादों के साथ इलाज किया जाता है। मुख्य स्थान पर मवेशियों की खाल है।
  2. सफ़ियान बकरियों की त्वचा है, जिस पर वनस्पति की टैनिंग हुई है।
  3. वेलोर - क्रोम टेनिंग का परिणाम, प्रक्रिया जो पक्ष बख्तर्म पर पड़ती है। सामग्री को पीसकर मखमली चिकनी है।
  4. साबर - सामने की ओर से छोटे जुगाली करने वालों की त्वचा। एक मोटा ढेर होना चाहिए, कम से कम फ़ुलफ़नेस और अधिकतम कोमलता।
  5. Shagreen चमड़े - सब्जी कमाना के बाद त्वचा, एक राहत पैटर्न के साथ संपन्न।
  6. हस्की भेड़ और कुत्तों की त्वचा है, जो नमक, आटा और जर्दी के अलावा एल्यूमीनियम फिटकिरी के साथ प्रयोग किया जाता है। यह दस्ताने के निर्माण के लिए एक नरम नरम कपड़े निकला है।
  7. नुबूक - मवेशियों के चमड़े का चमड़ा, साबर के स्पर्श के समान।
  8. लाह का चमड़ा एक वार्निश कपड़े है जो कम और उच्च तापमान का सामना नहीं करता है।

कृत्रिम चमड़े - लेदरेट, इको-लेदर, कपड़े आधार फिल्म पॉलीयुरेथेन कोटिंग पर आवेदन करके प्राप्त किया जाता है। एडिटिव के प्रकार के आधार पर, नाम को उपसर्गों इलास्टो- (घिसने वाले), विनाइल- (पॉलीविनाइल क्लोराइड), एमिडो- (पॉलीमाइड्स), नाइट्रो- (नाइट्रोसेल्युलोज), atur- (पॉलीयुरथेनेस) के साथ पूरक किया गया है।

कृत्रिम कपड़े की देखभाल: चमड़े के जीवन को कैसे बढ़ाया जाए?

उत्पाद को लंबे समय तक चलने के लिए, पालन करने के लिए कुछ नियम हैं:

  • सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग;
  • प्रदूषण को तत्काल हटाने;
  • डिटर्जेंट समाधान के साथ सफाई;
  • ऊर्ध्वाधर सुखाने;
  • मैनुअल मोड या टाइपराइटर में धोने पर प्रतिबंध;
  • वसा के धब्बे केवल साबुन समाधान के साथ हटा दिए जाने चाहिए।

यदि आप इन सरल नियमों का पालन करते हैं, तो आप कृत्रिम चमड़े के गुणों को बनाए रखेंगे, और उत्पाद लंबे समय तक चलेगा।

जानिए कैसा होता है थर्मल स्कैनर, कैसे करता है कोरोनावायरस की पहचान

जानिए कैसा होता है थर्मल स्कैनर, कैसे करता है कोरोनावायरस की पहचान
  • चीन के बाद देश के कई हिस्सों में फैला कोरोनावयरस वायरस ( Coronavirus )
  • केरल में कोरोनावयरस के मरिज की पहचान
  • थर्मल स्कैनर ( Thermal Scanner ) से के जरिए होती है कोरोनावायरस की पहचान

नई दिल्ली। चीन के कोरोनावायरस ( Coronavirus ) की पहचान व रोकथाम में थर्मल स्कैनर ( Thermal Scanner ) काफी उपयोगी साबित हुआ है। यह एक ऐसा उपकरण है, जिसके माध्यम से कोरोनावायरस या फिर ऐसे ही किसी अन्य रोग से ग्रस्त व्यक्ति की पहचान की जा सकती है।

वैज्ञानिक एन. कोलिन ने बताया, 'यह स्कैनर एक स्वस्थ व्यक्ति और विषाणु से ग्रस्त व्यक्तिय में स्पष्ट अंतर बताता है। थर्मल स्कैनर की सबसे खास बात यह है कि इससे निकलने वाली तरंगों का कोई दुष्प्रभाव मानव शरीर पर नहीं पड़ता है। हालांकि, इसका उपयोग प्रशिक्षण प्राप्त विशेषज्ञ की देखरेख में ही संभव है।'

थर्मल स्कैनिंग विशेषज्ञ सतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया, "सामान्य रूप से थर्मल स्कैनिंग को लेकर लोगों के मन में एक अनजाना सा डर रहता है। सामान्य लोग थर्मल स्कैनिंग को सीटी-स्कैन जैसी ही किसी मशीन से जोड़कर देखते हैं। हालांकि, थर्मल स्कैनिंग मानव शरीर की जांच के सबसे आसान उपायों में से एक है और इसके लिए किसी भी व्यक्ति को किसी भारी भरकम मशीन से होकर नहीं गुजरना पड़ता है।'

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी थर्मल स्क्रीनिंग के प्रति लोगों की आशंकाएं दूर करने व जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया है। डॉ. हर्षवर्धन ने थर्मल स्कैनिंग के बारे में बात करते हुए कहा, 'इस प्रक्रिया में विदेशों से आ रहे लोगों को हवाईअड्डे पर एक स्कैनर से होकर गुजरना होता है। इस दौरान यदि थर्मल स्कैनर से गुजरने वाले किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्यत व्यक्ति के तापमान से अधिक पाया जाता है, तो ऐसे संदिग्ध की मेडिकल जांच की जाती है।'


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उन्होंने कहा कि शरीर का तापमान अधिक होने पर थर्मल स्कैनर तुरंत इसकी जानकारी दे देता है। थर्मल स्कैनर एक इंफ्रारेड कैमरे की तरह काम करता है। इस स्कैनर के जरिए गुजरने वाले व्यक्ति के शरीर में मौजूद विषाणु इंफ्रारेड तस्वीरों में दिखाई पड़ते हैं। विषाणुओं की संख्या अधिक या खतरनाक स्तर पर होने पर व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, कोच्चि, जयपुर, अहमदाबाद समेत देशभर के 20 हवाईअड्डों पर इस प्रकार के आधुनिक थर्मल कैमरा स्कैनर लगाए हैं। देशभर के विभिन्न हवाई अड्डों पर लगाए गए थर्मल स्कैनर्स के जरिए अभी तक बहुत लोगों की सफलतापूर्वक जांच की जा चुकी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कुछ अन्य स्थानों पर भी अब थर्मल स्कैनिंग के जरिए कोरोनावायरस के संदिग्धों की जांच की जाएगी। इसके लिए जल्द ही नए थर्मल स्कैनर विदेशों से आयात किए जाएंगे

LCD और LED डिस्प्ले के बीच मुख्य अंतर क्या है? इनमें से क्या बेहतर है? और क्यों?


तकनिकी रूप से दोनों एक ही है।
LED डिस्प्ले का सही नाम LED-backlit LCD डिस्प्ले है। लेकिन हम इतने लम्बे वाक्य बोलने के आदि नहीं है तो हम सिर्फ LED डिस्प्ले बोलते है।

LCD डिस्प्ले
  • इसमें एलसीडी पैनल होता है जो चित्र प्रदर्शित करता है।
  • इस पैनल में दो ध्रुवीकरण करने वाले शीट का इस्तेमाल होता है।
    • इन दोनों शीट के बीच में द्रवित क्रिस्टल होता है। जब करंट इस द्रव्य से गुजरता है तो इनके क्रिस्टल कुछ इस तरह से अपने आप को सरेखित कर लेते है की प्रकाश उनसे गुजर सके या न गुजर सके।
    • इन क्रिस्टल को शटर की तरह समझिये जो या तो अपने में प्रकाश गुजरने देते है या नहीं गुजरने देते।
  • तो जब स्क्रीन पर कुछ प्रदर्शन करना हो तब इस द्रव्य में करंट पास किया जाता, और इस स्क्रीन के पीछे कोई प्रकाश का स्रोत रखा जाता है।
सामान्यत एलसीडी डिस्प्ले में प्रकाश का स्रोत एक CCFL बल्ब होता है, जो स्क्रीन के पीछे से प्रकशित करता है।
LED-backlit LCD डिस्प्ले
  • ऊपर जो आपने देखा वो साधारण एलसीडी डिस्प्ले है।
  • अगर उसी डिस्प्ले में हम प्रकाश के स्रोत CCFL बल्ब की जगह LED बल्बस के पैनल इस्तेमाल करे तो वो बन जायेगा LED-backlit LCD डिस्प्ले यानि आपका LED स्क्रीन।
इन दोनों में से बेहतर कौन सा है और क्यों ?
LED बेहतर है और आजकल बाजार में सिर्फ LED ही उपलबध है क्युकी:
  1. यह ऊर्जा कम खाता है और बढ़िया रंग दिखाता है।
  2. LED पूर्ण काला रंग दर्शा पाती है, LCD ऐसा नहीं कर पाती वह काले की जगह भूरा जैसा दिखाती है। क्युकी :
    • एलसीडी में क्युकी पूरी स्क्रीन को प्रकाशित करने के लिये एक ही बल्ब है तो स्क्रीन के किसी खास हिस्से में पूर्ण काला दिखाने के लिये उस बल्ब को बंद करना पड़ेगा जो स्क्रीन को भी बंद कर देगा।
    • जबकि LED में बहुत सारे छोटे छोटे LED बल्ब है, स्क्रीन के जिस भाग में काला दिखाना है वहाँ की बल्ब बंद किया जा सकता है।

भविष्य में इमारतें कैसी होंगी?


अब तक ईमारतों का विकास कुछ इस तरह हुआ है जैसा कि नीचे चार्ट में दिखाया गया है, लेकिन भविष्य की इमारतें इनसे बिल्कुल अलग होंगी, आसमान में लटकती हुई।
क्लाउड ऐ ओ नाम की कंपनी ने भविष्य की इमारतों के लिए एक कॉन्सेप्ट डिज़ाइन किया है जिसमें माउंट एवरेस्ट से भी तीन गुना ऊंची इमारतें बनाई जाएंगी वो भी अंतरिक्ष में, और उन्हें उल्का के सहारे लटकाया जाएगा।
27 किलोमीटर ऊंची इस इमारत का नाम अनालेमा टावर होगा जो एक ऐसे उल्कापिंड से लटकायी जाएगी जो पृथ्वी की ऑर्बिट में स्थापित हो सके।
इस इमारत को उल्कापिंड से लटकाने के लिए विशेष रस्सियां बनायीं जाएंगी जो बेहद मजबूत होंगी, फिर इसे इतना ऊंचा उठाया जाएगा हवाई जहाज उडने की सीमा से तीन गुना ऊंचा।
इस इमारत में पेड़ पौधे और बिजली पानी की व्यवस्था होगी।
बिजली के लिए सौलर पैनल प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है और पानी को सीधे बादल और बरसात से हार्वेस्ट किया जाएगा।
यह इमारत कुछ ऐसी दिखाई देगी।

IQ टेस्ट क्या है और यह कैसे होता है, इस टेस्ट से हम क्या जान पाते हैं?


हम हमेशा से ही IQ ,IQ टेस्ट आदि के बारे में सुनते आते है। अतः IQ, IQ टेस्ट तथा IQ से जुड़े बाते जैसे:- IQ SCORE या IQ लेवल आदि के बारे में जानने के लिए कृपया पूरा उत्तर पढे।
IQ:-
IQ का पूरा नाम Intelligence Quotient है,जिसका सर्वप्रथम उपयोग जर्मन वैज्ञानिक William Stern ने की थी। IQ हमारे सोचने , समझने की क्षमता पर निर्भर करता है। यू IQ पूरे जीवन मे एक समान रहता है, परंतु इसे कुछ तरीके से इसे boost अवश्य किया जा सकता है।
IQ Test(IQ परीक्षण):-
IQ परीक्षण हमारी सोचने समझमे की क्षमता के परीक्षण के आधार पर किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप IQ स्कोर तय किया जाता है और IQ लेवल के अनुसार लोंगो की बुद्धिमत्ता को वर्गीकृत किया जाता है।
लोगों की IQ को ज्ञात करने का फार्मूला कुछ इस प्रकार है।
IQ=Mentla age(मानसिक उम्र)/physical age(शारिरिक उम्र)×100
जिसमे लोगो की मानसिक उम्र को कई psychologist test के द्वारा ज्ञात किया जाता है।
अब बात करते है IQ स्कोर के अनुसार लोंगो की बुद्धिमत्ता की:-
IQ RANGE - IQ CLASSIFICATION
OVER 140 - Genius or near genius
120-140 - very superior intelligence
110-119 - superior intelligence
90-109 - Normal intelligence
80-89 - Dullness
70-79 - Borderline deficiency
UNDER 70 - Definite feeble mindness

हालांकि पूरे जीवन केवल IQ के ज्याद होने से आदमी अपने जीवन मे सफल नही होते उन्हें सफल होने के लिए हार्ड वर्क की आवश्यकता होती हैं। जो कि सबके लिए आवश्यक है।