DG set check point for daily in hindi


Check points for daily DG set check  : -




1.  Oil Level: Check oil level of DG set and maintain at appropriate level.

2.  Battery status : Check the battery's charge level and charge it if necessary.

3.  Engine Oil: Check the level and quality of the engine oil.

4.  Coolant Level: Check the condition of the coolant and keep it at the proper level.

5.  Air Filter : Check the air filter and take action if cleaning or replacement is required.

6.  Fuel Level : Check the fuel tank level of the DG set and fill it if necessary.

7.  Supply and Feedback : Check the supply and feedback of the generator and ensure that it is working properly.

8.  Safety equipment : Check for safety equipment, such as alert systems and additional temperature protection.

9.  Voltage and Frequency : Measure the voltage and frequency of the generator and ensure that they are within the required values.

10.          Load Test : If possible, test the generator at a small load to check functionality.

11.          Performance Report : Finally, prepare a routine report and report any problems.

 

Power Transformer testing complete detail

 Introduction:

  ट्रांसफार्मर के प्रदर्शन के अनुरूप करने के लिए ट्रांसफार्मर पर विभिन्न परीक्षण आवश्यक हैं।

 

मुख्य रूप से ट्रांसफार्मर को भेजने से पहले निर्माता द्वारा मुख्य रूप से दो प्रकार के ट्रांसफार्मर लगाए जाते हैं 


(1) Type test of transformer and 

(2) Routine test.


इसके अलावा कुछ अन्य परीक्षण भी उपभोक्ता द्वारा कमीशन से पहले और समय-समय पर अपने जीवन भर नियमित और आपातकालीन आधार पर किए जाते हैं।


ट्रांसफार्मर परीक्षण मुख्य रूप से वर्गीकृतहै


 Transformer Tests done by Manufacturer

  (A) Routine Tests

  (B)Type Tests

  (C) Special Tests


  Transformer Tests done at Site

  (D) Pre Commissioning Tests

  (E) Periodic/Condition Monitoring Tests

  (F) Emergency Tests



(A) Routine tests:

  ट्रांसफार्मर का एक रूटीन परीक्षण मुख्य रूप से एक उत्पादन में व्यक्तिगत इकाई के परिचालन प्रदर्शन की पुष्टि करने के लिए है। निर्मित प्रत्येक इकाई पर नियमित परीक्षण किए जाते हैं।


  All transformers are subjected to the following Routine tests:


§  Insulation resistance Test.

§  Winding resistance Test.

§  Turns Ration / Voltage ratio Test

§  Polarity / Vector group Test.

§  No-load losses and current Test.

§  Short-circuit impedance and load loss Test.

§  Continuity Test

§  Magnetizing Current Test

§  Magnetic Balance Test

§  High Voltage Test.

§  Dielectric tests

§  Separate source AC voltage.

§  Induced overvoltage.

§  Lightning impulse tests.

§  Test on On-load tap changers, where appropriate.





 (B) Type tests


  प्रकार परीक्षण एक ट्रांसफार्मर पर किए गए परीक्षण हैं जो अन्य ट्रांसफार्मर के प्रतिनिधि हैं जो यह प्रदर्शित करते हैं कि वे नियमित परीक्षणों द्वारा कवर नहीं की गई निर्दिष्ट आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं:


§  Temperature rise test (IEC 60076-2).

§  Dielectric type tests (IEC 60076-3).






 (C) Special tests


 विशेष परीक्षण परीक्षण, दिनचर्या या प्रकार परीक्षण के अलावा, निर्माता और क्रेता के बीच सहमति है।


§  Dielectric special tests.

§  Zero-sequence impedance on three-phase transformers.

§  Short-circuit test.

§  Harmonics on the no-load current.

§  Power taken by fan and oil-pump motors.

§  Determination of sound levels.

§  Determination of capacitances between windings and earth, and between windings.

§  Determination of transient voltage transfer between windings.

§  Tests intended to be repeated in the field to confirm no damage during shipment, for example frequency response analysis (FRA).






(D) Pre commissioning Tests


 ट्रांसफार्मर को साइट पर कमीशन करने से पहले किए गए परीक्षण को ट्रांसफार्मर का पूर्व कमीशन परीक्षण कहा जाता है। ये परीक्षण स्थापना के बाद ट्रांसफार्मर की स्थिति का आकलन करने और कारखाने परीक्षण रिपोर्ट के साथ सभी कम वोल्टेज परीक्षणों के परीक्षण परिणामों की तुलना करने के लिए किए जाते हैं।


§  All transformers are subjected to the following Pre commissioning tests:

§  IR value of transformer and cables

§  Winding Resistance

§  Transformer Turns Ratio

§  Polarity Test

§  Magnetizing Current

§  Vector Group

§  Magnetic Balance

§  Bushing & Winding Tan Delta (HV )

§  Protective relay testing

§  Transformer oil testing

§  Hipot test




 
ऊपर वीडियो में देखें पूरा डिटेल





DG सेट चलते चलते बंद हो जाये,क्या करे? | DG set stop suddenly

 DG सेट चलते चलते बंद हो जाये,क्या करे? 



DG set बंद होने के कारण निचे दिए गए हैं। उनको चेक करके DG की समस्या ठीक की जा सकती है

1. Malfunction in fuel system -  ईंधन प्रणाली में खराबी
फ्यूल टैंक चेक करे या खाली है तो उसे भरे |


2.Obstruction in fuel pipe - ईंधन पाइप में रुकावट

फ्यूल पाइप चेक करे | लीकेज, कोई रुकावत हो  तो, उसे क्लियर करे या पाइप चेंज करे |


3.air exist in fuel system - ईंधन प्रणाली में हवा मौजूद है


मैनुअल पंप द्वारा एयर को निकले |


4. Obstruction in air filter - एयर फिल्टर में रुकावट


एयर फिल्टर साफ करे या बदले


5. Sudden increase of Load - लोड का अचानक बढ़ना


लोड को कम करे |


6. Nozzel needel was bitted - नोज़ल की सुई कटी




नोज़ल को साफ करे या चेंज करे |

ऊपर दी गई जानकारी को या डिटेल में देखने के लिए नेचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करें |




क्या कभी विद्युत तरंगों को भी बिना तार के एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजकर बिजली प्राप्त करना संभव होगा?


निकोला टेसला ने ये १९०१ के पहले ही दुनिया को बता दिया था की आप इलेक्ट्रिसिटी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक बिना तार के भेज सकते है।

वो एक टावर बना रहे थे जिससे शहर के सभी लोगों को बिना तार के बिजली मिल सके। लेकिन उस समय के जो लोग जिन लोगों ने अपने पैसे इस प्रोजेक्ट में लगाए थे वो फ़्री में बिजली देना नहीं चाहते थे तो उन लोगों ने ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने दिया और हमने ये एक एंजिनीरिंग की मिसाल खो दी।

अब क़रीब १०० साल बाद हम लोग बहुत ही छोटी मात्रा में बिजली की ट्रान्स्फ़र कर पाए है जिसे हम wireless मोबाइल चार्जर में उपयोग कर रहे है।

बिजली की तार में हाई वोल्टेज करंट होने के बाद भी वह पिघलती क्यों नहीं है, जबकि वह आग से भी ज्यादा खतरनाक है?



कोई भी तार धातु का बना होता है, और प्रत्येक धातु का एक गलनांक होता है, मतलब उतने तापमान पर वो पिघलने लगेगा या तकनीकी भाषा में कहा जाए तो वह तापमान जिस पर वह ठोस अवस्था से तरल में बदलता है, उसका गलनांक कहलाता है।

आइए पहले देखते हैं कि कुछ धातुएं जिन्हें बिजली के तार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उनका गलनांक कितना होता है→

  • तांबा→ 1085℃
  • एल्युमीनियम→ 660.3℃
  • लोहा→ 1538℃

तो किसी भी तार में सामान्यतः इतना करंट कभी भी नहीं होता कि वो उपरोक्त तापमान तक गर्म हो। कभी-कभी शार्ट-सर्किट या अर्थ फ़ॉल्ट की वजह से फ़ॉल्ट करंट इस हद तक बढ़ सकता है कि तार के पिघलने लायक तापमान बढ़ सके, मगर ये क्षणिक होता है। ऐसी परिस्थिति में उस तापमान पर तार जहाँ सबसे कमजोर है, जैसे कि जोड़ इत्यादि पर, वहाँ से टूट कर अलग हो जाता है।


इसके अतिरिक्त और एक पैरामीटर है जो कि ध्यान में रखना जरूरी है, और वो है किसी भी धातु पर उसमें गुजरने वाले करंट का उष्मीय प्रभाव। यानि कि करंट जब किसी धातु के बने बिजली के तार में से गुजरता है तो कितनी गर्मी पैदा करता है।

यह भी पड़े - बिजली के उत्पादन से लेकर घरों में वितरण तक की व्यवस्था

इसे मापने का फार्मूला कुछ इस प्रकार है→

H = I^2*R×t

जहाँ

H = उष्मीय प्रभाव

I = करंट

R = रसिस्टेंस

t = समय

उल्लेखनीय है कि इसी सिद्धांत का उपयोग करते हुए कॉइल वाले हीटर और प्रेस एवं गीजर के एलीमेंट बनाये बनाये जाते हैं। जिनमें विद्युत करंट के उष्मीय प्रभाव का उपयोग करते हुए गर्मी पैदा की जाती है। ऐसे कॉइल या एलीमेंट को बनाने के लिए जो मटेरियल इस्तेमाल किए जाते हैं वो हैं नाइक्रोम और मैंग्नीन ,जिनकी खासियत है हाई रेसिस्टिविटी और उच्च गलनांक।

हाई रेसिस्टिविटी का अर्थ है की ये पद्धार्थ करंट को आसानी से गुजरने नहीं देते हैं, जिसके चलते रेसिस्टेन्स लॉस बढ़ जाते हैं और गर्मी पैदा होती है। जबकि बिजली के तारों को बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले मटेरियल बहुत ही लो यानि कि कम रेसिस्टिव होते हैं, अतः यहाँ रेसिस्टिव लॉस भी एकदम नगण्य होते हैं और ज्यादा गर्मी पैदा नहीं होती, जिसके फलस्वरूप उनका तापमान इतना नहीं बढ़ता की वो पिघल जाएं।

सन्दर्भ के लिए कुछ पदार्थों की रेसिस्टिविटी यहाँ देखी जा सकती है→

  • कॉपर: 1.68 × 10^ —8 ओम मीटर
  • एल्युमीनियम: 2.65 × 10^ —8 ओम मीटर
  • लोहा: 9.71 × 10^ —8 ओम मीटर
  • नाइक्रोम: 100 × 10^ —8 ओम मीटर
  • मैंग्नीन: 48.2 × 10^ —8 ओम मीटर

दूसरी बात इन तारों में जितनी अधिक वोल्टेज होगी, (हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन) उतना ही करंट कम होगा, क्योंकि यदि सर्किट की पॉवर लगभग एक जैसी रहती है तो वोल्टेज बढ़ाने पर करंट कम हो जाएगा। ये चीज़ भी रेसिस्टेन्स लॉस को कम रखती है और बिजली के तारों में उन्हें पिघलाने लायक गर्मी पैदा नहीं होती।

यह भी पड़े - विद्युत वोल्टेज 11 के गुणज में ही क्यों होता है जैसे 110v, 220v, 440v, 1100v 2200v, 11000v?

aircondition power cunsumption calculation (हिंदी)

 

एक 1.5 टन का स्प्लिट एयर कंडीशनर यदि 8 घंटे चले तब वो कितने यूनिट बिजली की खपत करेगा?

 



ये बिजली खपत में आजकल स्टार रेटिंग का बड़ा महत्व है, यह ऊर्जा दक्षता को बताता है, दक्षता से तातपर्य यहाँ यह है कि हम जितना इनपुट दे रहे है, उस पर आउटपुट का अनुपात क्या है।

जब यह अधिकतम होता है तो उस मशीन को 5 स्टार रेटिंग दी जाती है,

अब अगर मैं एक 5 स्टार रेटेड, 1.5 टन की स्प्लिट AC की बात करूं तो यह लगभग 1490 वाट बिजली प्रति घण्टे खपत करता है, या अगर इसको बिजली की यूनिट (किलोवाट घंटे) में बताए तो लगभग 1.5 यूनिट बिजली खपत होती है।

अगर 8 घण्टे की आप बात करें, तो यह लगभग 12 यूनिट हो गया

तो यह लगभग 12 से 15 रुपये एक घंटे का खर्चा है।

तो यह लगभग 145 रुपये से 180 रुपये प्रति रात्रि या दिन पर जाता है, और महीने का लगाए तो 4500 रुपये से 5500 रुपये के आस पास जाता है।

नीचे अन्य प्रकार की AC की खपत भी बता देता हूँ, ताकि आपको जिज्ञासा का सही समाधान प्रदान कर सकूं।

एयरकंडीशनर की बिजली खपत इस बात पर सबसे ज्यादा निर्भर करती है कि हमने क्या टेम्परेचर सेट कर रखा है, और सही टेम्परेचर रखकर हम अपना बिजली बिल भी कम कर सकते है।

इस इमेज के डेटा को समझने की कोशिश कीजिये,



इमेज की गणना से हम यदि तापमान 27 डिग्री रखें तो हम ऊर्जा खपत 30% तक कम कर सकते है और इसका मतलब यदि हमारा एयरकंडीशनर अगर 5000 का बिल बना रहा है तो लगभग 1500 रुपये हर महीने बचाये जा सकते है, और यदि टेम्परेचर 24 डिग्री के आसपास रखें तो लगभग 20 प्रतिशत की बिजली बचत होती है जो हमारी जेब में बिजली बिल से 1000 रुपये बचा सकती है।

एक अमेरिकन रिसर्च एजेंसी के डेटा का विश्लेषण करने पर मुझे ये प्राप्त हुआ कि सामान्य व्यक्ति को 24 से 25 डिग्री तापमान सबसे ज्यादा कम्फर्ट देता है, और आप यकीन कीजिये, गूगल जैसी बड़ी कंपनियों के ac भी 24–25 डिग्री पर चलते है।

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